UP Varanasi News: काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद केस में कोर्ट का आया फैसला, 1991 में वाराणसी कोर्ट में दाखिल हुआ था मुकदमा

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UP Varanasi News: साल 1991 में पहली बार कोर्ट में दाखिल हुए काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद केस में वाराणसी के जिला अदालत ने आज अपना फैसला सुनाया है। जिला अदालत के फैसले के मुताबिक काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद केस में कोर्ट ने एक कमिश्नर नियुक्त करने का फैसला किया है। ये कमिश्नर 19 अप्रैल को काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का दौरा करेंगे।

साथ ही परिसर की फोटो और वीडियोग्राफी भी करेंगे। इसके साथ ही वाराणसी जिला अदालत ने 19 अप्रैल को होने काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के दौरान किसी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए सुरक्षाबलों को तैनात करने का आदेश भी जारी किया।

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UP Varanasi News: क्या आया जिला अदालत का फैसला

आपको बता दें, बीते सितंबर 2020 में एक याचिका दाखिल की गई थी जिसमें कहा गया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर से लगे ज्ञानवापी मंदिर के परिसर को हिंदुओं को सौप देना चाहिए। आज जिला अदालत ने उसी याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया है। इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं ने काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के निरीक्षण के अलावा कोर्ट से रडार अध्ययन और वीडियोग्राफी करने के अनुमति भी मांगी थी। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर एक कमिश्नर की नियुक्ति की है।

UP Varanasi News: हिंदू पक्ष का दावा

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दरअसल ये पूरा मामला पहली बार 1991 में सामने आया जब पहली बार वाराणसी कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर ज्ञानवापी परिसर में पूजापाठ करने की अनुमति मांगी गई थी। उस वक्त हिंदू पक्ष ने कहा था कि जिस जगह पर इस वक्त ज्ञानवापी मस्जिद बना है उसके नीचे ज्योतिर्लिंग है। इतना ही नहीं विवादित ढांचे की दीवारों पर भी देवी देवताओं के चित्र बने हैं। ये भी कहा जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को सन 1664 में मुगल शासक औरंगजेब नष्ट कर दिया था। उसके बाद बचे मंदिर के अवशेषों से ही ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया गया था।

UP Varanasi News: ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष की दलील

वहीं दूसरी ओर ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष का कहना है कि यहां विश्वनाथ मंदिर कभी था ही नहीं और औरंगजेब बादशाह ने उसे कभी तोड़ा ही नहीं। ज्ञानवापी मस्जिद इस परिसर में काफी प्राचीन काल से है। ज्ञानवापी मस्जिद की ओर से अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने ये दलील पोर्ट में दी थी।

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