जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के 1 साल बीत चुके हैं। केंद्र की मोदी सरकार जम्मू कश्मीर के हालात में सुधार करने के लिए तमाम सारे प्रयास करती नजर आ रही है।इसके मद्देनजर सरकार ने जम्मू कश्मीर राज्य को तीन भागों में बांट केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया। इसके लिए नए लेफ्टिनेंट गवर्नर नियुक्त किए गए। जिसके बाद अब सरकार ने आधिकारिक भाषाओं में परिवर्तन की सोची है।
आपको बता दें कि हाल ही में संसद के मॉनसून सत्र में जम्मू कश्मीर अधिकारिक भाषा विधेयक 2020 को संसद के दोनों सदन से स्वीकृति मिली। जिसके बाद अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (president Ram Nath kovind) ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है। गजट सूचना के मुताबिक 26 सितंबर को राष्ट्रपति द्वारा जम्मू कश्मीर अधिकारिक भाषा विधेयक 2020 को मंजूरी दी गई।
इस संबंध में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि यह जम्मू कश्मीर के लोगों को इसका काफी लंबे समय से इंतजार था। वहां बोली जाने वाली भाषाओं की सूची में हिंदी, डोगरी और कश्मीरी को शामिल करना जरूरी था। उन्होंने जानकारी दी की 74% आबादी कश्मीरी और डोगरी बोलते हैं। जबकि उर्दू बोलने वालों की संख्या 0.16% ही है, वही हिंदी को भाषा के रूप में प्रयोग करने वाली आबादी 2.3% है।
जी किशन रेड्डी के अलावा पीएमओ कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी मीडिया में जानकारी साझा की है कि सरकार ने इस बहुप्रतीक्षित मांग को स्वीकार कर लिया है।
इस भाषा विधेयक से उर्दू और अंग्रेजी के अलावा कश्मीरी डोकरी और हिंदी जम्मू कश्मीर ( Jammu Kashmir) केंद्र शासित प्रदेश की आधिकारिक भाषा की श्रेणी में शामिल होंगी। कयास लगाए जा रहे हैं इस भाषा परिवर्तन से कश्मीरी जनता को फायदा पहुंचेगा।