UP Electricity Price: यूपी सरकार ने जनता को दिया तोहफा, नहीं बढ़ेंगे बिजली के दाम

UP Electricity Price: उत्तर प्रदेश नागरिकों को योगी सरकार ने एक बड़ी राहत दी है। इस बार बिजली के दाम नहीं बढ़ाए जाएंगे। सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने बिजली की दर न बढ़ाए जाने की ऐलान पहले ही कर दिया था। और अब उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (Uttar Pradesh Electricity Regulatory Commission) ने गुरुवार को टैरिफ ऑर्डर (tariff order) जारी कर दिया है।

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने सभी बिजली कंपनियों के स्लैब परिवर्तन (slab change) के साथ ही साथ रेगुलेटरी सरचार्ज के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

UP Electricity Price

UP Electricity Price: बिजली वितरण कंपनियों ने टैरिफ ऑर्डर जारी किया

विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष (Chairman of Electricity Regulatory Commission) आरपी सिंह (RP Singh), सदस्य केके शर्मा (KK Sharma) व वीके श्रीवास्तव ( VK Srivastava) की पूर्ण पीठ ने प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों की ओर से 2021-22 के लिए दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता

(एआरआर), 2020-21 की एनुअल परफार्मेंस रिव्यू, 2019-20 के लिए दाखिल ट्रू-अप (अनुमोदित व वास्तविक खर्च में अंतर) व स्लैब परिवर्तन याचिका पर गुरुवार को अपना फैसला सुनाते हुए टैरिफ ऑर्डर जारी कर दिया।

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जानकारी के मुताबिक 49 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के रेगुलेटरी एसेट का दावा करने वाली बिजली कंपनियों पर इस साल भी उपभोक्ताओं की करीब 1059 करोड़ रुपये की देनदारी बन रही है। वर्तमान सरकार में अभी तक केवल एक बार साल 2019-20 में बिजली दरों में बढ़ोतरी हुई है।

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों की तमाम दलीलों को खारिज कर बिजली की मौजूदा दरें न बढ़ाते हुए उन्हें पहले की तरह रखने का गुरुवार को फैसला सुनाया।

UP Electricity Prices: उपभोक्ताओं की जेब पर अगले साल तक कोई अतिरिक्त बोझ नहीं

 

आयोग ने कंपनियों के 10-12 फीसद रेगुलेटरी सरचार्ज लगाए जाने और स्लैब परिवर्तन करने संबंधी प्रस्तावों को भी नहीं माना है। ऐसे में विद्युत उपभोक्ताओं की जेब पर कम से कम अगले साल विधानसभा चुनाव तक तो किसी तरह का कोई अतिरिक्त बोझ पड़ने वाला नहीं है।

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दरअसल, पांचों बिजली कंपनियों ने चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए नियामक आयोग में 81,901 करोड़ रुपये का ARR (वार्षिक राजस्व आवश्यकता) दाखिल किया था। इन कंपनियों ने अपनी ओर से बिजली दर बढ़ाने का कोई प्रस्ताव तो नहीं दिया था, लेकिन 9,663 करोड़ रुपये का राजस्व गैप दिखाया था,

जिसकी भरपाई के लिए वे बिजली की दरों में इजाफा चाह रही थीं। चूंकि विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने रह गए हैं, इसलिए पहले से ही माना जा रहा था कि अबकी बिजली की दरें नहीं बढ़ेंगी।

UP Electricity Price: बिजली कंपनियों के मंसूबों पर आयोग ने पानी फेर दिया

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बिजली की दरें न बढ़ाए जाने की घोषणा की थी। ऐसे में बिजली कंपनियों ने दूसरे रास्तों के जरिये उपभोक्ताओं से ज्यादा वसूली करने की कोशिश की, लेकिन आयोग ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।

कंपनियों ने 49,827 करोड़ रुपये का रेगुलेटरी असेट दिखाते हुए 10-12 फीसदी तक रेगुलेटरी सरचार्ज लगाए जाने का प्रस्ताव तो आयोग को सौंपा ही, मौजूदा 80 स्लैब को घटाकर 53 करने का प्रस्ताव भी दिया, ताकि कमाई बढ़ाई जा सके।

बिजली कंपनियों के प्रस्तावों पर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विधिक तथ्यों के साथ आपत्ति को मानते हुए आयोग ने एआरआर में 9938 करोड़ रुपये की कटौती करने के साथ ही सरचार्ज व स्लैब परिवर्तन के प्रस्तावों को भी खारिज कर उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है।

इतना ही नहीं, आयोग ने बिजली कंपनियों को बड़ा झटका देते हुए उन पर ही उपभोक्ताओं का 1059 करोड़ रुपये सरप्लस निकाल दिया है, जिससे अगले वित्तीय वर्ष में भी बिजली की दरों में बढ़ोतरी की गुंजाइश कम ही रहने के आसार हैं।

UP Electricity Price:  ट्यूबवेल के बिल में भी उपभोक्ताओं को बड़ी राहत

आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह के घोषित टैरिफ ऑर्डर में किसानों को ट्यूबवेल के बिल में एक तरह से बड़ी राहत भी दी गई है. अब भले ही ट्यूबवेल कनेक्शन में मीटर लगने वाला हो, लेकिन किसानों को मीटर में दर्ज खपत संबंधी रीडिंग के अनुसार बिजली का बिल नहीं देना पड़ेगा। किसानों के ऐसे कनेक्शनों को भी अनमीटर्ड मानते हुए उनसे फिक्स 170 रुपये प्रति हार्सपावर की दर से ही बिजली का बिल वसूला जाएगा।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि उनकी लड़ाई से बिजली उपभोक्ताओं की बड़ी जीत हुई है। हालांकि, कोरोना काल में उपभोक्ताओं को और राहत देने के लिए सरकार व पावर कारपोरेशन ने उनके बिजली दर घटाने संबंधी टैरिफ प्रस्ताव को नहीं माना है।

वर्मा का कहना है कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 19,537 करोड़ रुपये पहले से ही निकल रहा था। आयोग ने गुरुवार को आदेश में कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 1059 करोड़ रुपये और निकाल दिया है।

UP Electricity Price: महंगी बिजली वाले 5 राज्यों में यूपी दूसरे नंबर पर

ऐसे में कंपनियों पर उपभोक्ताओं का अब 20,596 करोड़ रुपये सरप्लस हो गया है। सरप्लस के एवज में बिजली की दरों को घटाने के लिए परिषद जल्द ही आयोग में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा।

वर्मा का स्पष्ट तौर पर कहना है कि बिजली की दर यथावत नहीं, बल्कि कम होनी चाहिए।कई दूसरे राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश में आज भी बिजली महंगी है। महंगी बिजली वाले पांच राज्यों में यूपी दूसरे स्थान पर है।

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