लखनऊ: पूर्वांचल विद्युत विरतण निगम लिमिटेड (PVVNL) के निजीकरण (Privatization) को लेकर यूपी में बिजली कर्मी (Electric worker) अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार (Indefinite work outs) पर चले गए हैं। जिसकी वजह से कई जिलों में बिजली आपूर्ति ठप है।
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन और बिजली कर्मियों के बीच जंग शुरु हो गई है। निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों की चेतावनी के बावजूद समझौते का कोई रास्ता नहीं निकाला गया, जिसके बाद सोमवार को कर्मचारी अनिश्चितकालीन पूर्ण कार्य बहिष्कार पर चले गए।
बिजली कर्मियों के अनिश्चितकालीन पूर्ण कार्य बहिष्कार पर चले जाने की वजह से पूर्वी उत्तर प्रदेश के वाराणसी, देवरिया, गोरखपुर, चंदौली, आजमगढ़, मऊ, मीरजापुर समेत कई जिलों की बिजली आपूर्ति भी प्रभावित हुई है। इस कारण उपभोक्ताओं की शिकायतें नहीं सुनी गई और अन्य काम भी प्रभावित रहे।
कार्य बहिष्कार के पहले दिन सोमवार को ही सरकार की तैयारियां धरी की धरी रह गईं। कंट्रोल रूम फेल तो विद्युत आपूर्ति सुचारु बनाए रखने के लिए लगाई गई भारी भरकम टीम, फाल्ट को ठीक करना तो दूर कई क्षेत्रों में इसे ढूंढ़ पाने में ही असफल रही।
फॉल्ट की मरम्मत सहित उपभोक्ता सेवाओं से जुड़े कामकाज प्रभावित रहे। इस बीच ऊर्जा प्रबंधन और जिला प्रशासन ने बिजली सप्लाई बहाल रखने के लिए पुलिस के पहरे के साथ कई वैकल्पिक इंतजाम किए, लेकिन फॉल्ट के आगे सभी फेल हो गए। राज्य के कई जिलों में आपूर्ति ठप रही। लोगों को बिजली-पानी के लिए परेशान होना पड़ा।
समिति पदाधिकारियों का कहना है कि ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और ऊर्जा निगम के साथ पहले समझौता हुआ था कि विभाग के कर्मियों को भरोसे में लेकर ही कहीं भी निजीकरण किया जाएगा। यह समझौते का उल्लंघन है। संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रभावी हस्तक्षेप की अपील की है।
प्रदेश में बिजली कर्मियों के आंदोलन के चलते कई जिलों की बिजली आपूर्ति ठप है जिसकी वजह प्रदेश के कारोबार को नुकसान पहुंच रहा है। अब देखना होगा कि सरकार क्या कदम उठाती है।