वाराणसी: स्वर्ग के अछूत द्वारपाल डोम राजा का निधन

वाराणसी के डोम राजा कहे जाने वाले जगदीश चौधरी का निधन।डोम राजा काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 45 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।मंगलवार को काशी के मणिकर्णिका घाट पर उनका अंतिम संस्कार होगा। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक प्रकट किया है।

आपको बता दें कि डोम राजा 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक रहे थे। प्रस्तावक बनाने के बाद डोम राजा ने कहा था कि पहली बार किसी राजनीतिक दल ने हमें पहचान दी है। प्रधानमंत्री चाहेंगे तो हमारी दशा जरूर बेहतर होगी।

डोम राजा के निधन पर प्रधानमंत्री ने ट्वीट के जरिए अपनी भावनाएं जाहिर की है। पीएम ने कहा है कि डोम राजा काशी की संस्कृति में रचे बसे थे और सनातन परंपरा के संवाहक थे। उन्होंने जीवन पर्यंत सामाजिक समरसता के लिए कार्य किया। इसके साथ ही उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पेट के माध्यम से डोम राजा को याद किया है। सीएम योगी ने कहा कि डोम राजा अध्यात्म के लिहाज से महत्वपूर्ण थे। हिंदू धर्म में छुआछूत समाप्त करने के लक्ष्य से महंत अवैद्यनाथ ने डोम राजा के घर साधुओं के साथ भोजन कर सह भोज की शुरुआत की थी।

काशी में डोम राजा का महत्व

काशी के लिए डोम राजा स्वर्ग के अछूत द्वारपाल थे। मान्यता है कि काशी में मरने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्ष प्राप्ति के मार्ग में डोम जाति के लोग और डोम राजा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चिता पर रखी जाने वाली पहली पांच लकड़ी डोम राजा द्वारा ही रखी जाती है। इसके साथ ही चिता को दी जाने वाली आग संतान के हाथों में डोम ही देते हैं।

जानकारी है कि काशी में मरने पर मोक्ष की प्राप्ति तभी होगी जब डोम के हाथों अग्नि और लकड़ी मिलेगी। चिता जलाने से लेकर शाम की साफ-सफाई तक का काम डोम ही करते हैं। इसी के माध्यम से उनका जीवन यापन होता है। जिसमें इस जाति का प्रतिनिधित्व डोम राजा करते थे। जगदीश चौधरी उन्हीं डोम राजा के वंशज है, जिन्होंने सूर्यवंशी राजा हरिश्चंद्र को काशी में दास के रूप में खरीदा था।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *