Assembly elections in UP: यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले ब्राम्हण वोटों के लिए छिड़ी सियासी जंग

Assembly elections in UP

Assembly elections in UP :  उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly elections) को लेकर ब्राम्हण वोटों के लिए सियासी संग्राम छिड़ गया है। भाजपा ने कांग्रेस (Congress) के नेता जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) को पार्टी में शामिल कर ब्राम्हणों को संदेश देने का प्रयास किया है। तो वहीं बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने ब्राह्मणों को ध्यान में रखकर अयोध्या से प्रबुद्ध सम्मेलन की शुरुआत की है। सपा (SP) भी अब पीछे नहीं रहना चाहती है। विधानसभा चुनाव से पहले सभी दलों ने ब्राम्हणों को अपने पाले में लाने के लिए सियासी संग्राम छेड़ दिया है।

ये भी पढ़ें- UP Cabinet Meeting : UP में अंत्योदय कार्ड धारको को मिलेगा फ्री इलाज, 5 लाख का बीमा

बसपा के सम्मेलन देख सपा ने भी इस वोट बैंक को अपने पाले में लाने की तेजी दिखानी शुरू कर दी है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि पिछड़ा, दलित, मुस्लिम के बाद सबसे ज्यादा राजनीतिक दलों का फोकस ब्राम्हण वोटों पर है। वह इसे किसी भी कीमत पर अपने पाले में लाने का प्रयास कर रही है।

Assembly elections in UP : ब्राम्हणों पर 2007 वाले फॉर्मूले को फिर से आजमाएगी बसपा

बसपा के रणनीतिकारों ने महसूस किया है कि ब्राह्मणों को अपने पाले में खींचना है तो राम व परशुराम की अग्रपूजा जरूरी है। बसपा ने 2007 में पहली बार सोशल इंजीनियरिंग का ताना-बाना बुना था। ब्राह्मणों को जोड़ने का यह पूरा फॉर्मूला सतीश चंद्र मिश्रा ने तैयार किया था। उसके परिणाम भी अच्छे आए सरकार भी बनी, लेकिन वर्ष 2012 में बसपा का यह फार्मूला ना सिर्फ फेल हुआ बल्कि उसको सत्ता से भी बाहर कर दिया।

बहुजन समाज पार्टी को लगता है कि 2007 वाला फॉर्मूला अगर सफल हुआ तो चुनावी वैतारिणी पार करने में कोई परेशानी नहीं होगी। इसी बात ख्याल रखते हुए उसने धार्मिक स्थलों से प्रबुद्ध सम्मेलन की शुरुआत की है। हालांकि उसने इस सम्मेलन को ब्राम्हण बाहुल क्षेत्रों में न जाकर धार्मिक स्थान को चुना है। उसे लगता है, इससे बड़ा संदेष जाएगा। बसपा रणनीतिकार मानते हैं कि दलित, मुस्लिम और ब्राम्हण वोट बैंक अगर मिला तो बड़ा गेमचेंज हो जाएगा।

Assembly elections in UP 2021: ब्राह्मणों को है अपने समय के आने का इंतजार

बसपा नेता व पूर्व मंत्री नकुल दुबे कहते हैं कि ब्राम्हण समाज ने बसपा को बहुत कुछ दिया है। पार्टी ने ब्राम्हणों को बहुत कुछ दिया है। समाज को अंदोलित किया जा रहा है। सपा में 2012 और 2017 के बीच के कार्यकाल को देख लें तो किसी से कुछ छिपा नहीं है। इनकी कथनी करनी में सामनता नहीं है। ब्राम्हणों को इस्तेमाल तो खूब किया जाता है लेकिन हिस्सेदारी की बात आती है तो लोग पीछे हटने लगते हैं। पूरब से लेकर पश्चिम तक ब्राम्हण जगा हुआ है। इस समय इस वर्ग के साथ अत्याचार भी बहुत हो रहा है। बस वह समय का इंतजार कर रहा है।

Assembly elections in UP: ब्राह्मणों के प्रति सपा ने भी जताया प्रेम, 23 अगस्त से बलिया में ब्राह्मण सम्मेलन शुरु

उधर, ब्राम्हणों के प्रति प्रेम तो सपा कुछ माह पहले भी जता चुकी, लेकिन बसपा के कार्यक्रम शुरू होते ही अखिलेश यादव ने इस ओर तेज गति करते हुए रणनीति बनाने के लिए पार्टी के पांच ब्राह्मण नेताओं की टीम बना दी है।

लखनऊ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Samajwadi Party National President Akhilesh Yadav) के साथ पार्टी के पांच बड़े ब्राह्मण नेताओं ने करीब ढाई घंटे तक मंथन किया। अब सपा 23 अगस्त से मंगल पाण्डेय की धरती माने जाने वाले बलिया से ब्राह्मण सम्मेलन करेगी। सूबे में जातीय सम्मेलन पर रोक के कारण सपा भी इसको कोई नया नाम दे सकती है।

समाजवादी प्रबुद्ध सभा के अध्यक्ष और विधायक मनोज पांडेय कहते हैं कि 23 अगस्त से हम लोग बलिया से प्रबुद्ध सम्मेलन का आयोजन करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले हमारा प्रबुद्ध सम्मेंलन 57 जिले में हो चुका और अब दूसरा चरण शुरू करने जा रहे हैं। 2019-20 में सम्मेलन 57 जिलों में कार्यक्रम किए। महामारी के कारण यह बंद हो गया था। करीब 22 जिलों में परशुराम की मूर्तियां भी स्थापित की जा चुकी हैं। ब्राम्हण समाज के लिए सपा ने बहुत कुछ किया है।

Assembly elections in UP: सियासी पार्टियों को सत्ता की कुर्सी दिलाने में ब्राह्मणों की अहम भूमिका

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि यूपी में सत्ता तक पहुंचाने में ब्राम्हणों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। 2007 ब्राम्हणों का साथ मायावती (Mayawati) को मिला तो सरकार बनी। इन्हीं के कारण 2012 में सपा की सरकार बनी। 2014 केन्द्र में मोदी और 2017 में योगी की सरकार बनवाने में ब्राम्हणों का काफी अहम रोल है। चूंकि ब्राम्हणों की भूमिका सत्ता के नजदीक ले जाने की होती है। इसीलिए सभी दल इनके नजदीक जाने में जुटे हैं।

खबरों के साथ बने रहने के लिए प्रताप किरण को फेसबुक पर फॉलों करने के लिए यहां क्लिक करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *