Champawat- कहते हैं कि जिसके हौसले बुलंद होते हैं और जो अपनी परेशानी को खुद मिटाने की ठान लेते हैं वह किसी और की मदद का इंतजार नहीं करते हैं। फिर चाहे शासन-प्रशासन उनसे कितना ही मुंह मोड़ ले वह अपने परेशानी खुद मिटाते हैं और प्रशासन से आंख मिलाकर कहते हैं जिस काम के लिए तुम्हें चुना था वह काम भी हम खुद ही कर रहे हैं।
अपनी सहजता के लिए कोई कार्य करना बहुत बड़ी बात नहीं है लेकिन बात यहां खास बनती है जब कोई कार्य पब्लिक डोमेन में होता है और उसे कराने की जिम्मेदारी हमारे चुने हुए प्रतिनिधियों की होती है। हमारे चुने हुए प्रतिनिधि उसकी तरफ ध्यान ना दें और गांव से सैकड़ों किलोमीटर दूर किसी शहर के विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे छात्र, जो कि लॉकडाउन में घर आए थे वही गैंती और कुदाल हाथों में उठा कर वो काम करने लगते हैं जिसे करने की जिम्मेदारी किसी नेता की हो। तब यह यह बात आने आप खास बन जाती है।
राहत इंदौरी (Rahat Indori) का एक शेर हैं जिसमें वह कहते हैं कि –
तूफानों से आंख मिलाओ सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो तैर के दरिया पार करो
इसी शेर को चरितार्थ करते हुए उत्तराखंड (Uttrakhand) के चंपावत जिला मुख्यालय (Champawat) के समीप बसे गांव खर्ककार्की (Kharkkarki) के कुछ युवा अपने गांव जाने वाले रास्ते की बदहाली से तंग आकर हाथों में गैंती और कुदाल लेकर उसे ठीक करने निकल पड़े। उनका कहना है कि करीबन 8 साल पहले प्रशासन की तरफ से बुलडोजर लगाकर वह रास्ता बनाया गया था, लेकिन तब से उसकी कोई सुध नहीं ली गई और वह बहुत बेकार हालत में है। उस पर बाइक या अन्य कोई वाहन तो दूर, पैदल चलना भी कठिन होता है। खासकर बरसात के सीजन में जब रास्ते में काफी फिसलन और कीचड़ होता है।
इसमें काम कर रहे युवा वही हैं जो अपनी पढ़ाई के सिलसिले में यहां से सैकड़ों किलोमीटर दूर किसी शहर में कमरा लेकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। इस कार्य में लगे विनय कुमार ने बताया कि वह मुंबई में फिल्म इंडस्ट्री और थिएटर में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं और कोरोना महामारी के चलते मुंबई से अपने घर आए। इसलिए उन्होंने अपने साथ के युवाओं को इकट्ठा कर रास्ते का सुधारीकरण खुद ही करने का निर्णय लिया। उनका कहना है कि शासन प्रशासन को कई बार इसकी अर्जी दी गई लेकिन उनका हर बार यही कहना होता है कि उनके पास बजट की कमी है।
इस मुहिम में काम कर रहे हैं सभी युवा अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जिन्होंने प्रशासन को आंख दिखाते हुए उनका काम भी खुद अपने हाथों से किया। विनय कुमार, नारायण पांडे, कमल किशोर, निर्मल पांडे, संदीप ने इस मुहिम की पहल की जिसमें कई और भी जुड़े। इस कार्य में विनय कुमार, सुमित कुमार, प्रकाश जोशी, निर्मल पांडे, नारायण पांडे, कमल किशोर (ssb) , अमित बॉबी, सूरज कुमार, कपिल, मोहित, मनीष, नीरज संदीप ने योगदान दिया।
शुक्रिया जुगल ,, मुझे इस बात का इल्म नहीं था कि यह तक आप इस बात को रखेंगे , आप का दिल से शुक्रिया ,,
कुछ और बड़े भैया भी हैं जिनकी वजह से है ये सफल हो पा रहा है ,, ( कमल किशोर (ssb) , निरमल पांडे (उनके चाचा , नारायण पांडे , अमित बॉबी , सूरज कुमार , मोहित व अन्य भाई बंधु भी इसमें शामिल हैं ।
मै आपको अपडेट देता रहूंगा । ♥️