‘दिल बेचारा’, रिव्यू नहीं श्रद्धांजलि

दिल से सोचने वाले सुशांत सिंह राजपूत ने ‘दिल बेचारा’ (DIL BECHARA)से एक बार फिर जीता दर्शकों का दिल…..फिल्म शुरु होने के साथ ही उनकी मासूमियत भरी मुस्कुराहट को देखकर दिल ने एक बार फिर कहा…चल झूठे…सुशांत कभी मर नहीं सकता…सुशांत की ये मुस्कुराहट सालों साल लोगों के दिलो दिमाग में जिंदा रहेगी। सुशांत सिंह…

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‘दिल बेचारा’ नहीं होता ‘सुशी’

एक था राजा, एक थी रानी, दोनों मर गए खतम कहानी। पर ये मरने वाली कहानियां कहां अच्छी लगती हैं। किसी को अच्छी नहीं लगती। पर ये लाइनें जाने कितने वक्त तक हर ज़ेहन में रहने वाली हैं। आज का दिन बहुत सारी यादों के साथ लेकर आया है उस चमकते सितारे की आखिरी फिल्म…

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