भारतीय शास्त्रीय संगीत के रत्न पंडित जसराज अब इस संसार में नहीं रहे। अमेरिका में हॉट सिस्ट के कारण 90 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। वह अपने पीछे पत्नी मधु और एक पुत्र- पुत्री का भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं।
शास्त्रीय संगीत के मेवाती घराने से संबंध रखने वाले पंडित जी का जन्म 28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा तो पिता पंडित मोतीराम पर हुई थी। बाद में उनका पालन पोषण बड़े भाई ने किया। जो उन्हें तबला संगीतकार के रूप में प्रशिक्षित करते थे।
यूं तो पंडित जी के नाम दुनिया भर के तमाम पुरस्कार हैं। पद्मा विभूषण, पद्मभूषण, पद्मश्री, लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, लता मंगेशकर अवॉर्ड और सबसे खास बात कि अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा उनके नाम पर एक ग्रह का नाम रखा गया। वह भारतीय शास्त्रीय संगीत के ऐसे सितारे रहे, जिनकी शोहरत केवल इस धरती पर ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में भी गूंजती है। उनके नाम पर अंतरिक्ष के एक ग्रह का नाम रखा जा चुका है।
संगीत में महारत हासिल करने वाले पंडित जी ने अपनी कला को तमाम रूपों में प्रदर्शित किया। वैसे तो पंडित जी 14 वर्ष की आयु में गायक के रूप में प्रशिक्षित थे, लेकिन शुरू में रेडियो पर प्रदर्शन कलाकार के रूप में काम किए। फिर 22 वर्ष की आयु में ही अपना पहला स्टेज कॉन्सर्ट प्रस्तुत किया। अपनी जिंदगी के 90 वर्ष में से करीब 80 वर्ष उन्होंने संगीत को दिया है।
भारतीय शास्त्रीय संगीत में जुगलबंदी का उपन्यास रूप उनकी देन है। इसे एक पुरुष और एक स्त्री कलाकार मिलकर गाते हैं। जो एक ही समय पर दो अलग-अलग राग प्रस्तुत करते हैं। इसे जसराज जी के नाम पर जसरंगी कहा जाता है।
अगर देखा जाए तो हर धार्मिक परिवार के दिन की शुरुआत जसराज जी के भजन और शास्त्रीय गायन से शुरू होती है। मधुराष्टकम् स्तोत्र, अर्धनारीश्वर स्तोत्र,महाकाली वंदना, ठुमरी, दादरा और तमाम सारी संगीत की विधा पंडित जी को भारतीय शास्त्रीय संगीत के स्वर्णिम इतिहास के रूप में अमर कर देती है।