नारीवाद को एक नई दिशा देने वाली इस्मत आपा का जन्मदिन

उर्दू साहित्य में क्रांति करने वालों के जिक्र पर दो चार नाम याद आते हैं। कहा जाता है कलम ऐसी शमशीर है जिसका दिया ज़ख्म नासूर बन जाता है। कुछ ऐसा ही ज़ख्म दिया है इस्मत चुग़ताई (Ismat Chugtai) ने ज़माने की रूढ़ियों को। इस्मत चुग़ताई का जन्म 21 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के…

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