‘पाकीज़ा’ की दास्तान-ए-इश्क

1 अगस्त 1933 को जन्म के साथ ही उनके पिता ने उन्हें अनाथाश्रम छोड़ दिया, पर कुछ ही देर में पिता की दिल पसीजा तो वापस लौटे और देखा कि उनकी मासूम सी बच्ची के नाजुक से शरीर से चींटीयां चिपकी हुई हैं। उन्होंने फटाफट अपनी बच्ची को साफ किया और घर लेकर आए, नाम…

Read More