आखिरकार वो जिंदगी की जंग हार गई

पुत्री दिवस मनाते समाज को तमाचा मार गई। बड़बोलों के बीच एक घनघोर सन्नाटा पसार गई। क्यूं रहे वो यहां जब कदर ही नहीं उसकी, आखिरकार वो जिंदगी की जंग हार गई।   तुम जात पात में उलझे रहो, वो तो इसके पार गई। नारी उत्थान के पैरोकारों को फिर से दुत्कार गई। सीता ,…

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