1973 के ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (Kesavananda Bharati vs State of Kerala) ‘ मामले से अपनी पहचान बनाने वाले केशवानंद भारती (Keshvanand Bharti) अब नहीं रहे। रविवार की सुबह भारती ने केरल(Kerala) राज्य के कासरगोड स्थित अपने आश्रम में अंतिम सांस ली। 79 वर्षीय भारती को ‘केरल का शंकराचार्य’ , ‘संविधान का रक्षक’ इत्यादि उपनामों से जाना जाता है।
1973 में भूमि अधिग्रहण के मामले में केशवानंद ने केरल उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी ।केरल उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया। उसके बाद भारती ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया ।इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केशवानंद भारती के पक्ष में फैसला सुनाया था। इस फैसले के अनुसार संविधान ( Constitution) की प्रस्तावना( Preamble) के मूल ढांचे में परिवर्तन नहीं किया जा सकता ।
वह ऐतिहासिक फैसला आज भी भारत में कानून के पढ़ाई का हिस्सा है। इसके अलावा दुनिया के कई देशों के न्यायालयों में उस फैसले को मिसाल की तरह पेश किया जाता है ।
उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उप राष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने संवेदना व्यक्त की।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, “हम पूज्य केशवानंद भारती जी को उनकी सामुदायिक सेवा और शोषितों को सशक्त करने के उनके प्रयासों के लिए हमेशा याद रखेंगे। उनका देश के संविधान और समृद्ध संस्कृति से गहरा लगाव था। वह पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। ओम शांति।”
We will always remember Pujya Kesavananda Bharati Ji for his contributions towards community service and empowering the downtrodden. He was deeply attached to India’s rich culture and our great Constitution. He will continue to inspire generations. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 6, 2020
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने संत केशवानंद भारती के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “केशवनंद भारती स्वामी जी, जोकि एडनीर मठ के संत थे, वह दार्शनिक, शास्त्रीय गायक और सांस्कृतिक प्रतीक का एक दुर्लभ मेल थे।”