दुनिया की पहली संभावित कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) को रूस में मंजूरी मिलने के बाद अब इस वैक्सीन को अन्य देशों को उपलब्ध कराने और उन देशों में इसके उत्पादन को लेकर चर्चा चल रही है। वैक्सीन पाने की चाहत को लेकर कई बड़े देश और संगठन फिलहाल रूस के संपर्क में हैं। रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक V(Sputnik V) बनाने का दावा किया है। रूस की गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इस वैक्सीन को बनाया है। रूस के एक मंत्री ने कहा कि इस टीके की पहली खेप अगले दो हफ़्तों में आ जाएगी और पहले ये मुख्य तौर पर डॉक्टरों को दी जाएगी।
गामालेया के अलावा रूस में सिस्टेमा को इस वैक्सीन के प्रोडक्शन की जिम्मेदारी दी गई है, जो एक साल में वैक्सीन की लगभग 15 लाख खुराक बना सकती है। इस बीच रूस के प्रत्यक्ष निवेश निधि के प्रमुख किरिल दिमित्रीव ने कहा कि इस वैक्सीन की एक अरब खुराक के लिए 20 देशों से ऑर्डर मिल चुके हैं। चार देशों में अपने सहयोगियों के साथ रूस हर साल इसकी 50 करोड़ खुराक बनाएगा।
भारत में वैक्सीन अपनाने की प्रक्रिया
भारत में किसी भी बाहरी देश की कोरोना वैक्सीन को लाने से पहले उसका ठीक तरह से परीक्षण किया जाना सबसे अहम हिस्सा है। भारत में किसी भी विदेशी वैक्सीन को लाने से पहले उसका फेज-2 और फेज-3 ट्रायल किया जाता है। इसकी मंजूरी DCGI यानी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा दी जाती है। वैक्सीन के फेज-2 और फेज-3 के सफल ट्रायल के बाद इसे हरी झंडी दी जा सकती है। यह प्रक्रिया देश में बाहर से आने वाली हर वैक्सीन के साथ अपनाई जाती है।
फिलहाल ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को मंजूरी
देश में अब तक सिर्फ एक विदेशी वैक्सीन के ट्रायल को मंजूरी मिली है। भारत में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन के ट्रायल को मंजूरी मिल चुकी है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया(DCGI ) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया(Serum Institute of India) को भारत में ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के दूसरे और तीसरे फेज के मानव ट्रायल की मंजूरी मिली है। जल्द ही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया अपने ट्रायल की शुरुआत करेंगी।