आज आपको बहुत से लोग ऐसे भी मिल जाएंगे जो अभिनेता अरुण गोविल (Arun govil) को श्री राम और अभिनेता नितीश भारद्वाज (Nitish bharadwaj) को श्री कृष्ण मानकर उनकी पूजा करते हैं ।रामायण और महाभारत जैसे धारावाहिक से निकले यह किरदार आज भी लोगों के मन में जीवंत हैं। रविवार को जब दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत का प्रसारण होता था तो ऐसा लगता था मानो शहर में कर्फ्यू लगा हो । इन धारावाहिकों के अलावा दूरदर्शन ने हमें नुक्कड़, विक्रम बेताल, चित्रहार, जंगल बुक इत्यादि भी दिखाया । दूरदर्शन के साथ हर उम्र के दर्शक जुड़ते थे ।
15 सितंबर 1959 को दूरदर्शन की शुरुआत हुई तो इसका प्रसारण सप्ताह में 3 दिन केवल आधे घंटे के लिए होता था ।उस दौर में इसे टेलीविजन इंडिया (Television India) कहा जाता था। 1975 में इसका हिंदी नामकरण किया गया और नाम रखा गया दूरदर्शन । शुरुआत में केवल कुछ शहरों तक ही सीमित दूरदर्शन के 80 के दशक में अच्छे दिन आए । क्यूंकि 1982 के एशियाई खेलों के आयोजन का प्रसारण दूरदर्शन ने किया । उसके बाद शुरू हुए पारिवारिक कार्यक्रम ‘ हमलोग ‘ ने सफलता का नया कृतिमान स्थापित किया ।
हम सब का बचपन दूरदर्शन के साथ ही बीता । जब प्रसारण सही से नहीं हो पाता था तो छत पर चढ़कर एंटीना घुमाना हम सबको याद है । आज डिजिटल दुनिया और टीवी के चकाचौंध के बीच दूरदर्शन ने अपनी चमक खो दी है । यह बात कहने में कोई गुरेज नहीं है । पर दूरदर्शन का अब तक का सफर गौरवशाली रहा है ।