भारत( India) और श्रीलंका (Sri Lanka) के बीच श्रीलंकाई तमिलों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए 1987 में समझौता हुआ था ।इसके लिए श्रीलंका के संविधान में 13वें संशोधन की जरूरत पड़ी थी । इसके बाद वहां प्रांतीय परिषद का गठन हुआ था । लेकिन सत्ताधारी पार्टी और मंत्रियों ने इसे खत्म करने की मांग की। उनका कहना था कि इस परिषद का कोई खास योगदान नहीं है बल्कि इसके बदले स्थानीय निकायों को मजबूत बनाया जाए ।
इस साल फरवरी 2020 में जब श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (Mahindra Raj pakshe) भारत आए थे तो नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)ने उनसे कहा था कि 13वें संविधान संशोधन को पूरा करने की जरूरत है।हालांकि तब महिंदा राजपक्षे ने इस बात के लिए कोई वादा नहीं किया था । उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर इसे पूरी तरीके से लागू किया जाएगा तो सिंहल समुदाय इस बात से नाराज हो जाएगा ।तब से ही 13वें संविधान संशोधन को खत्म करने की बात हो रही थी।
अब श्रीलंका अपने संविधान में 20वा संशोधन करने जा रहा है । इससे 19 वें संविधान द्वारा मिलीं राष्ट्रपति की शक्तियां खत्म हो सकती हैं। अगर यह संविधान संशोधन होता है तो श्रीलंका की राजनीतिक परिस्थितियां बदल जाएंगी और 1987 का वह समझौता खतरे में पड़ सकता है। भारत इसी वजह से चिंतित है।