राफेल के असली ‘फाइटर’ को भूल गए हम

राफेल आ गया, सबका जोश हाई है। सब ने ताली पीटी, सीना चौड़ा किया, कुछ ने अपनी पीठ भी ठोंकी और कुछ ने माथा भी ठोंक लिया। लेकिन जश्न और शोर-शराबे हम उस शख्स को भूल गए जिसके सही मायने में जोश हाई किया था। राफेल डील फाइनल करने में जिसका प्रयासों का महत्पूर्ण योगदान था। जी हाँ, मेरा तात्पर्य नरेन्द्र मोदी की एनडीए सरकार के तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से है। राफेल भारत आया, सबका जोश हाई है लेकिन राफेल डील फाइनल कर वास्तव में जोश हाई करने वाले फाइटरको हमने भुला दिया। खैर, यह तो हमेशा होता है जो सामने है वही सिकंदर।

आपको पता ही होगा कि राफेल सौदे की बात यूपीए सरकार के दौरान भी चली थी लेकिन आगे नहीं बढ़ी। फिर एनडीए-1 में नए सिरे से बात शुरू हुई, जिसका नतीजा है राफेल भारत के पास है। इसके लिए कोर्ट कचहरी हुई, महाभारत हुई यह सब को पता है। जिस नई पीढ़ी को नहीं पता उनको समझाते हैं 5 वीं पीढ़ी स्टाइल में।

राफेल डील की कहानी, 5 वीं पीढ़ी स्टाइल में

राफेल की कहानी वक्त की जुबानी

अटल सरकार:  हमें वायुसेना के लिए 126 लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है।

इंडियन एयर फ़ोर्स : पता करते हैं।

इंडियन एयर फ़ोर्स : हमारे अनुसार राफेल बेस्ट लड़ाकू जहाज़ रहेगा।

इसके बाद सोनिया गांधी नियंत्रित मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार आती है।

यूपीए: ये राफेल कितने का है?

फ्रांस:  ₹936 करोड़ का है राफेल

यूपीए: हमें ₹526 करोड़ में दे दो।

फ्रांस: नही संभव है।

यूपीए: हमें,  बिना हथियार के, बिना रख-रखाव  के,  बिना कलपुर्जों के, और बिना गारंटी के दे दो।

फ्रांस: वो सब वैसे भी दाम के अतिरिक्त  है।

यूपीए: राफेल का कम उपलब्धता रेट हो राफेल का, 35%-40% तो भी चलेगा।

फ्रांस: वहीं बनवा लो राफेल

यूपीए: अच्छा ऑफसेट कितना है?

फ्रांस: 30% ऑफसेट रहेगा।

यूपीए: दे दो न प्लीज ₹526 करोड़ में।

फ्रांस: नहीं दे सकते बोला न।

यूपीए: अच्छा 18 ही दे दो बाकी हम भारत  में बनवा लेंगे।

फ्रांस: पर कौन बनाएगा?

यूपीए: एचएएल से बनवा लेंगे भारत में।

फ्रांस: पर एचएएल तो स्टैण्डर्ड के लिए उतनी मैनपावर देने को तैयार ही नहीं है।

यूपीए: ओह, खैर हमारे पास तो राफेल खरीदने के पैसे ही नहीं हैं।

2014- एनडीए की सरकार

एनडीए: हमें राफेल खरीदने हैं।

फ्रांस: जी, बताइये।

एनडीए: कितने का पड़ेगा राफेल?

फ्रांस: वही ₹936 करोड़ का, लेकिन एस्केलेशन कॉस्ट बढ़ जाएगी अब।

एनडीए: हमें इंडिया के लिए बदलाव भी चाहिए।

फ्रांस: और …

एनडीए: हमें, हथियार पैकेज,  मेंटिनेंस सपोर्ट, स्पेयर पार्ट्स, गारंटी भी चाहिए।

फ्रांस: और …

एनडीए: हमें, 75% से ज्यादा उपलब्ध रेट  चाहिए।

फ्रांस: और …

एनडीए: हमें ऑफसेट भी 50% चाहिए।

फ्रांस: फिर तो कीमत बहुत ही ज्यादा बढ़ जाएगी।

एनडीए: आप कॉस्ट तो बताइये।

फ्रांस: फिर तो कॉस्ट करीब ₹1,988 करोड़ पड़ेगी।

एनडीए: ऑफसेट 50% ?

फ्रांस: हाँ, ₹30,000 करोड़ इन्वेस्टमेंट कर देंगे भारत में ऑफसेट के अंतर्गत।

एनडीए: ठीक है, लेकिन कीमत कुछ कम कीजिये।

फ्रांस: आप कितने राफेल लेंगे ?

एनडीए:  कॉस्ट कम कर देंगे तो अभी 36  उड़ने की स्थिति में लेंगे और फिर बाकी भारत में बनवाएंगे।

फ्रांस: भारत में किससे बनवाएंगे ?

एनडीए: भारत में पीपीपी मॉडल पर बनवाएंगे, नया टेंडर 110 विमानों का निकालेंगे।

फ्रांस: मतलब आप अब 126 की जगह 36 + 110 = 146 लड़ाकू जहाज़ खरीदेंगे।

एनडीए: हां

फ्रांस: ठीक है, ₹1,638 करोड़ से कम में नहीं दे पाएंगे राफेल, डील कब साइन करेंगे ?

राफेल डील का विरोध

कांग्रेस:  हाय-हाय, हम तो ₹526 करोड़ में खरीद रहे थे राफेल

कांग्रेस:  हम कोर्ट जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट: मोदी सरकार की राफेल डील में कोई गड़बड़ी नहीं है।

कांग्रेस: वो अनिल अम्बानी को ₹30,000 करोड़ का ऑफसेट दे दिया।

एनडीए: ₹30,000 के ऑफसेट में 100 कंपनियां है, रिलायंस और द साल्ट का ऑफसेट सिर्फ ₹850 करोड़ का है।

कांग्रेस: पर रेट ज्यादा है, उसका क्या?

सीएजी: बेसिक एयरक्राफ्ट 2.86% सस्ता है। बाकी जो एक्स्ट्रा फीचर लिए है उसके कारण ओवरआल कॉस्ट ज्यादा है।

कांग्रेस: लेकिन लेकिन.. ‘चौकीदार’ चोर है

सुप्रीम कोर्ट: आपको माफ़ी मांगनी पड़ेगी।

राहुल गांधी: ओके. मुझे माफ़ कर दो, मैं हाथ जोड़कर माफ़ी मांगता हूं।

एनडीए: निश्चित है कि हमारी राफेल डील बेहतर और ज्यादा रोबस्ट है।

कांग्रेस: हम सुप्रीम कोर्ट और सीएजी को नहीं मानते, हम तो ₹526 करोड़ में खरीद रहे थे राफेल “हाय हाय”।

..इति राफेल कथा।।

 

राजीव ओझा
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक

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