लखनऊ: यूपी सरकार और हाथरस जिला प्रशासन ने मंगलवार को हाथरस कांड पर सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा। सुप्रीम कोर्ट में हाथरस दुष्कर्म और हत्या की CBI या SIT से जांच कराने की मांग की जनहित याचिका पर सुनवाई थी।
सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने मंगलवार रात (29 सितंबर) में गैंगरेप पीड़िकी मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार करने के मामले पर अपनी सफाई दी। युवती के अंतिम सस्कार करने को लेकर हाथरस जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एफिडेविट में दावा किया है कि जिला को बड़ी हिंसा से बचाने के लिए मृत युवती के माता-पिता को रात में अंतिम संस्कार करने के लिए राजी किया गया।
इसे भी पढ़े- हाथरस के SP विक्रांत वीर के सस्पेंड होने से यूपी के अन्य IPS अधिकारी नाराज, कही ये बड़ी बात
जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि खुफिया रिपोर्ट मिली थी कि वहां पर लाखों लोग एकत्र होंगे, जिससे बड़े हिंसा की संभावना थी। वहां के लोग इस मामले को जाति के साथ सांप्रदायिक रंग दे सकते थे। और यही वजह थी कि मृत युवती का अंतिम संस्कार रात में करना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट से उत्तर प्रदेश सरकार ने अपील की है कि वह हाथरस मामले की CBI जांच की निगरानी करे। यूपी सरकार ने कोर्ट को बताया कि हाथरस मामले के बहाने सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर यूपी सरकार को बदनाम करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
इसे भी पढ़े- हाथरस कांड के बहाने योगी सरकार को बदनाम करने की साजिश, मुकदमा दर्ज
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सामाजिक कार्यकर्ता सत्यम दुबे और दो वकील विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव की याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में उत्तर प्रदेश के अधिकारियों द्वारा मामले से निपटने में विफलता का आरोप लगाया गया है। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने की। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि महिला और उसके परिवार के साथ घोर अन्याय हुआ है। पीड़िता की लाश को पुलिस ने परिवारवालों की सहमति के बिना जलाया था।