सिंघु बॉर्डर: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 25वें दिन भी जारी है और इस प्रदर्शन को यादगार बनाने के लिए नौजवान कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बॉर्डर पर पंजाब, हरियाणा से आए युवा किसान इस आंदोलन के समर्थन में ब्लड डोनेट कर रहे हैं तो वहीं अपने शरीर पर कृषि विषय पर टैटू भी बनवा रहे हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जल्द खत्म होता नहीं दिख रहा है। किसानों और सरकार के 6 दौर की बातचीत के बाद भी अब तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। हजारों की संख्या में बुजुर्ग किसान और नौजवान इस प्रदर्शन में शामिल हुए हैं।
इस आंदोलन को यादगार बनाने के लिए हर कोई अपने तरीके से किसानों का समर्थन कर रहा है। सिंघु बॉर्डर पर नौजवान अपना ब्लड डोनेट करके अपना समर्थन किसानों को दे रहे हैं। बॉर्डर पर एक निजी एनजीओ द्वारा ब्लड बैंक लगाया गया है।
ब्लड बैंक शनिवार सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक लगा। जिसमें 18 वर्ष से 40 वर्ष तक के करीब 50 लोगों ने अपना ब्लड डोनेट किया। लाइंस ब्लड बैंक के इंचार्ज हीरेन्द्र सहरावत ने बताया कि, “हम लोगों से यहां की खाप (पंचायत ) द्वारा सम्पर्क किया गया था। जिसके बाद हम लोगों ने बॉर्डर पर अपना ब्लड बैंक लगाया है।”
कैथल से प्रदर्शन में शामिल होने आए अंग्रेज सिंह ने अपना खून दान दिया। उनके अनुसार, “मैं इस प्रदर्शन को देखने आया हूं। मैंने ब्लड बैंक की गाड़ी देखी, जिसके बाद किसानों को समर्थन देने के लिए मैं ब्लड डोनेट कर रहा हूं।”
अंग्रेज सिंह जैसे अन्य नौजवान भी ब्लड डोनेट करके अपना समर्थन दे रहें हैं। कुछ नौजवान सिर्फ ब्लड बैंक की गाड़ी देख कर ही खून दान कर रहे हैं। उनके मुताबिक यादगार के तौर पर ब्लड डोनेट करने का एक मौका मिल गया।
दरअसल, बॉर्डर पर बैठे किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। लेकिन सरकार की तरफ से अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिया गया है। हालांकि सरकार कानून में कुछ बदलाव करने को तैयार है।
वहीं दूसरी ओर सिंघु बॉर्डर पर हाल ही में आए कुछ नौजवान किसानों को अपना समर्थन देने के लिए अपने शरीर पर कृषि विषय पर टैटू बनवा रहे हैं। ये कहना गलत नहीं होगा कि नौजवान अनोखे तरीके से अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।
नौजवान युवा कृषि से जुड़े अलग-अलग नारों वाले टैटू बनवा रहे हैं। दरअसल लुधियाना से आए तीन आर्टिस्टों ने सिंघु बॉर्डर पर अपनी एक स्टॉल लगाई है। जहां वह नौजवानों के शरीर पर टैटू बना रहे हैं और टैटू बनाने का कोई पैसा भी नहीं ले रहे हैं।
बॉर्डर पर आए लोगों के लिए ये एकदम फ्री है। चेतन सुध, रविन्द्र और करण सिंह शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पहुंचे थे और अब तक इनसे बॉर्डर पर करीब 80 लोग टैटू बना चुके हैं।
रविन्द्र ने बताया, “हम लुधियाना निवासी हैं और 8 सालों से टैटू बनाने का का काम कर रहें हैं। यहां हम साथ आए है और लोगों के टैटू बना रहे हैं। शुक्रवार को हमने 30 टैटू बनाए थे।” “एक टैटू बनाने में करीब आधा घंटा लगता है और 3 हजार से लेकर 4 हजार रुपए का खर्च आता है।
बॉर्डर पर नौजवान युवा टैटू बनवाने को लेकर काफी उत्साहित हैं।” “इन सभी टैटू का हम कोई पैसा नहीं ले रहें हैं। हम फ्री में टैटू बनाकर अपना समर्थन दे रहें हैं और ये युवा टैटू बनवाकर अपना समर्थन किसानों को दे रहे हैं।”
‘हमने युवाओ को चुनने के लिए कुछ टैटू दिए हैं, जिनमें पंजाब का नक्शा, ट्रैक्टर, बब्बर शेर, और गेहूं शामिल है। इनमें कुछ नारे है ‘हर मैदान फतेह’, ‘निर्भयो निरवैर’ और ‘निश्चय कर अपनी जीत करूं’ नारे भी शामिल है।” गुरसेवक सिंह ने अपनी कलाई पर एक नारा ‘निर्भयो निरवैर’ प्रिंट करवाया है।
उन्होंने बताया, “मैंने अपनी कलाई पर ये नारा लिखवाया जिसका मतलब न किसी से डरने वाले और न किसी से दुश्मनी करने वाला होता है। यहां हर कोई अपने ढंग से समर्थन दे रहा है। इसे बनाकर मैं अपना समर्थन किसानों को दे रहा हूं। और जब तक ये कानून वापस नहीं ले लेती सरकार, तब तक हम यहीं डटे रहेंगे।”
हालांकि शनिवार और रविवार को छुट्टी होने के कारण दिल्ली और हरियाणा से किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले कुछ परिवार अपने बच्चों के साथ बॉर्डर पर पहुंचे। परिवार इस आंदोलन में शामिल होने और किसानों को अपना समर्थन देने आए हुए हैं।
वहीं हाथों में कुछ बिस्किट के पैकेट भी लाए है जो कि यहां के किसानों को देने हैं। विनोद देसवाल पानीपत से सिंघु बॉर्डर आए हैं और अपने बच्चों को समझा रहे हैं कि किसान खेतों के अलावा अन्य जगहों पर भी मेहनत करता है और एक किसान होना मामूली बात नहीं है। ये कहना गलत नहीं होगा कि बॉर्डर पर हर वर्ग के लोग आ रहे है।