जन्माष्टमी पर्व की दो तिथियां, जानिए किस दिन रखें व्रत, पूजा विधि और मंत्र

जन्माष्टमी पर्व 2020:  भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। यह भगवान का 16 कलाओं से परिपूर्ण अवतार था । भगवान कृष्ण ने अपनी अद्भुत लीला से पूरे संसार को अभिभूत एवं आनंदित किया था।

इस वर्ष 11 एवं 12 अगस्त 2020 संवत 2077 को जन्माष्टमी पर्व

इस वर्ष सन 2020 में 11 अगस्त को 6:14 पर अष्टमी का प्रारंभ हो रहा है जो उदया काल में नहीं है, परंतु पूरे दिन एवं अगले दिन 12 तारीख को सुबह 8:01 तक अष्टमी तिथि प्राप्त हो रही है। इसके अनुसार मध्य रात्रि में (12:00) जन्म का समय 11 तारीख को प्राप्त हो रहा है एवं उदया तिथि 12 तारीख को प्राप्त हो रही है।

यह दोनों तिथियां अष्टमी व्रत एवं पूजन को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा करने वाली हैं। भारतीय परंपरा में त्यौहारों को उदया तिथि के परिप्रेक्ष्य में ही मनाया जाता है। परंतु अष्टमी तिथि जिसमें भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था जिसके अनुसार 11 तारीख को प्राप्त हो रही है ।

गृहस्थ 11 अगस्त को मनाएं जनमाष्टमी

इस बार रोहणी नक्षत्र इन दोनों तिथियों में भगवान श्री कृष्ण के जन्म समय पर प्राप्त नहीं हो रहा है। अतः गृहस्थ 11 अगस्त 2020 को जन्माष्टमी का पर्व मनाए। रात्रि में भगवान का भजन कीर्तन करें उसका आनंद लें एवं भगवान के जन्म का सौंदर्य ग्रहण करें और 12 अगस्त 2020 को पारण करें।

साधु संत 12 अगस्त को करें उपवास

वहीं साधु सन्यासी 12 अगस्त 2020 को भगवान श्री कृष्ण के अवतरण दिवस का व्रत रखें।

विधि-विधान से करें पूजा, निसंतानों को होगी संतान की प्राप्ति

जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के लड्डू गोपाल के स्वरूप का विधि-विधान से पूजन करने से जिन दांपत्य को संतान की इच्छा है वह पूर्ण होती है अर्थात उन्हें संतान प्राप्त होती है। पूर्ण भाव से किए गए पूजन को साक्षात् भगवान विष्णु अवतार श्री कृष्ण ग्रहण करते हैं एवं उनकी कृपा से श्रेष्ठ संतान प्राप्त होती है। इसके लिए वंश गोपाल मंत्र का जाप विशेष फलदाई होता है लड्डू गोपाल को मिश्री व मक्खन का भोग लगाना चाहिए।

इस मंत्र का जप करें

ओम देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वं अहम शरणम गतः ।

 

अंशुल त्रिपाठी ज्योतिर्विद
9450197085

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