आज है विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस, जानिए इसके उद्देश्य

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य…

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य विश्व भर में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना है तथा विश्व के हर वर्ग के लोगो को मानसिक रोग के जानकारी अवगत कराना है।

स्वस्थ मनुष्य के लिए शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य का स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के पहले महानिदेशक डॉक्टर ब्राकॅ चिशहोम के प्रसिद्ध उद्धरण के अनुसार- “मनुष्य का बगैर मानसिक स्वास्थ्य के सच्चा शारीरिक स्वास्थ्य नहीं हो सकता है”
उनके इस युक्ति के अनुसार शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य के संयोजन में समर्थता प्रदान करता है।
सालों के रिसर्च के बाद इस बात को लेकर कोई शक नहीं रह गया है कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बुनियाद तौर पर अभिन्न रूप से आपस में जुड़े हैं।

वैश्विक महामारी के दौरान लोगो के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

देश में महामारी के दौरान लगे सार्वजनिक आपातकाल के समय स्कूल कॉलेज ऑफिस सब कुछ बंद था। उस समय अवधि में सभी अपने घरों में क्वारंटाइन हो गए कुछ परिवार के साथ तो कुछ परिवार से दूर ऐसे में जो अकेले रह गए जिनका बाहर घर से आना जाना सब बंद हो गया ऐसे में लोगों के अंदर अकेलेपन का लगना साथ ही लगातार सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने के कारण आमजन पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा जिससे लोगों को मानसिक तनाव का उत्पन्न होना साथ ही अवसाद होने के दर का बढ़ना आम बात है ऐसे में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर लोगों को मानसिक रोग के बारे में जागरूक करना हमारा फर्ज है।

आइए जानते हैं मानसिक रोग के बारे में…

मानसिक रोग लोगों को अंदर ही अंदर खत्म कर देता है । यह करो ना जैसी महामारी से भी ज्यादा घातक है जहां करोना हमारे इम्यूनिटी सिस्टम को कमजोर करता है वही मानसिक रोग हमारे जीने की इच्छा को नष्ट करता जाता है।इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है हाल ही में हुए अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु जिसका कारण सुशांत सिंह का मानसिक रूप से अस्वस्थ बताया जा रहा है। ऐसी स्थिति में हमें मानसिक रोग लेकर सचेत रहना चाहिए।

WHO की रिपोर्ट के अनुसार-
4 में से एक व्यक्ति मानसिक विकार से ग्रस्त है।
इनमें लगभग 10 से 19 साल की उम्र के लोग का वैश्विक रोग भार में १६ फ़ीसदी हिस्सेदारी रही है।

डब्ल्यूएचओ की 2011 के रिपोर्ट के अनुसार भारत अपने स्वास्थ्य बजट पर महज ०.०६ फीसद हिस्सा मानसिक स्वास्थ्य पर खर्च करता है। यह बांग्लादेश से भी कम है जो अपने स्वास्थ्य बजट का करीब ०.४४ फीसद इसमें खर्च करता है। दुनिया के ज्यादातर विकसित देश अपने स्वास्थ्य बजट का 6:00 से 8:00 फीसद हिस्सा मानसिक स्वास्थ्य संबंधी शोध और संरचना तथा फ्रेमवर्क पर खर्च करते हैं।

मानसिक रोग क्या है

मानसिक रोग बहुत से प्रकार का हो सकता है इसमें मस्तिष्क से जुड़े प्रत्येक तरह की समस्याओं को शामिल किया जा सकता है जैसे अल्जाइमर, डिप्रेशन तनाव अवसाद चिंता कमजोर याददाश्त डिस्लेक्सिया डर लगना भूलने की आदत आदि है।

मानसिक रोग के कारण

मानसिक रोग बहुत से कारण से हो सकता है। अधिक संभावना है कि यह वंशानुगत भी हो सकता है।
जब हमारे मस्तिष्क में न्यूरोमीटर से जुड़े तंत्र की तंत्र जब ठीक से काम नहीं करता है तथा उनमें परिवर्तन होने लगता है तो मनुष्य डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। कभी-कभी यह रोग अधिक शराब और ड्रग्स लेने से भी इसकी शुरुआत हो जाती है।

मानसिक रोग के लक्षण

मानसिक रोग के लक्षण निम्न हैं।
उदास रहना व्याकुल होना डर लगना बार-बार विचारों में परिवर्तन होना थकान कमजोरी नींद न लगना भूलने की समस्या होना इत्यादि इसके आम लक्षण है।

मानसिक रोग के उपाय

मानसिक रोग को दूर करने का अच्छा तरीका है कि अपना आत्मविश्वास बढ़ाए , सेल्फ केयर, खुद से खुद की कीमत तथा अहमियत समझे, परिवार के साथ समय बिताएं, तथा अपने आप को सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रखें तथा नकारात्मक विचार वाले लोगों से दूर रहे।

सरकार द्वारा की गई पहल

देश में प्रति 4.1 लाख की जनसंख्या पर एक मनोचिकित्सक उपलब्ध है इनमें से ज्यादातर महानगरों और बड़े शहरों में केंद्रित है।देश में कुल मिलाकर 443 मानसिक चिकित्सालय है।वर्ष 1982 में भारत में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया गया था।वर्ष 1997 मैं सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा शुरू हुआ

वर्ष 2014 में मानसिक स्वास्थ्य नीति बनाई गई। साथ ही संसद में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल विधेयक भी लाया गया।वर्ष 2015 से 16 तक यह कार्यक्रम 241 जिलों तक पहुंच गया।आज देश भर में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कई सारे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।और देश भर में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाने हेतु ऑनलाइन तथा ऑफलाइन केंद्र बनाए गए हैं जहां हम अपने मनोरोग के बारे में बेझिझक बातें कर सकते हैं।

मनोरोग होना आम बात है इसका इलाज संभव है ऐसे में हमें मानसिक रोग से ग्रसित लोगों के साथ आम व्यवहार करना चाहिए साथ ही उन्हें समय-समय पर मनोचिकित्सक से मिलने की सलाह देनी चाहिए।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 2020 का उद्घाटन

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावर चंद गहलोत ने 8 अक्टूबर 2020 को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से
” मानसिक स्वास्थ्य: कोविड-19 से आगे की दृष्टि विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। ऑस्ट्रेलिया-इंडिया संस्था के प्रोफेसर क्रेग जेफरी ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता की।”

उद्घाटन भाषण देते हुए श्री थावर चंद गहलोत ने दुनिया भर के मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं के बढ़ते प्रवृत्ति पर अपनी चिंता व्यक्त की साथ ही उन्होंने भारत सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान के लिए की गई हलिया पहलो जैसे कि मध्य प्रदेश के सीहोर में मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्था की स्थापना और “किरण”मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्था तथा हेल्पलाइन नंबर के बारे में जानकारी दी।

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