कोरोना महामारी में ध्वस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए आरबीआई ने बड़े कदम उठाने का फैसला लिया है। इसको सुदृढ़ करने के लिए आरबीआई (RBI) ने रेपो रेट (repo rate) को 4 फ़ीसदी पर बनाए रखने का निर्णय लिया है। आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (monetary policy committee) ने शुक्रवार को यह फैसला किया। जिसकी घोषणा आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor) ने की।
उनका कहना था कि आरबीआई इकोनामिक ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए उदार तरीका अपना रहा है। कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए नीतिगत दरों में कटौती की जा सकती है। इस साल मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की यह पांचवी बैठक है। जिसमें 10 अहम फैसले लिए गए हैं।
मुख्य बातें
आरबीआई की ओर से रेपो रेट को 4 फ़ीसदी और रिवर्स रेपो रेट को 3.35 बिजली पर बरकरार रखने का फैसला किया है। इसको लेकर बीते अगस्त महीने में भी कोई बदलाव नहीं किए गए थे।
जीडीपी की बात करें तो चालू वित्तीय वर्ष में 9.5 फ़ीसदी की गिरावट का अनुमान है। सीएसओ के अनुसार पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फ़ीसदी की गिरावट आई है। 2020- 21 की चौथी तिमाही में कुछ चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
देश में खाद्यान्नों की उपज की बात करें तो खाद्यान्नों के उत्पादन में बेहतरी देखने मिल सकती है। खरीफ फसलों का रकबा बढ़ा है और रवि फसलों का भी आउटलुक अच्छा देखा गया है।
बाजार को लेकर रिजर्व बैंक की ओर से अगले हफ्ते खुले बाजार परिचालन के तहत 20 हज़ार करोड़ रुपए जारी किए जाएंगे।
आरटीजीएस की सुविधा दिसंबर से 24 घंटे शुरू कर दी जाएगी। आरटीजीएस बैंकों के सभी कार्यदिवसों में सुबह 7:00 बजे से लेकर शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है।
वही रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की कीमत 80 फ़ीसदी तक के कर्ज पर 35 फ़ीसदी की वृद्धि के आधार पर पूंजी का प्रावधान रखने का निर्देश दिया गया है। वहीं 90 फ़ीसदी तक के कर्ज के लिए 50 फ़ीसदी तय किया गया है।