कभी दिल्ली सल्तनत जिसके नाम से थर थर कांपती थी वह शेरशाह सूरी भारतीय इतिहास के पन्नों का एक जाना पहचाना नाम है। ये वही शेरशाह सूरी(Sher Shah Suri) हैं जिन्होंने हुमायूं(Humayun) को दो बार भारत से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। उनके नेक कामों की बात की जाए तो कोलकाता से पेशावर तक लंबी जीटी रोड के नवीनीकरण का श्रेय भी शेरशाह सूरी(Sher Shah Suri) को ही जाता है।
उनकी याद में ऐतिहासिक बिहार(Bihar) की धरती के एक शहर सासाराम (Sasaram)में उनका मकबरा बना हुआ है। झील के बीचो बीच स्थित इस इमारत का निर्माण बड़ी नजाकत से किया गया है जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। यह इमारत अपने आप में वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है । दूर से देखने पर यह पानी में तैरता सा दिखता है ।सासाराम(Sasaram) के लोग इसे ताजमहल से कतई कम नहीं समझते हैं।
लेकिन शेरशाह की याद में बना यह मकबरा आज पर्यटन विभाग के उपेक्षा का शिकार है। वहां स्थित झील के पानी की नियमित रूप से सफाई न होने के कारण उसमें गंदगी फैल गई है जिससे वहां की हवा में बदबू तैरती है । सुविधाओं के नाम पर वहां कुछ भी नहीं है। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में यह स्पष्ट है कि इस तालाब की साफ-सफाई बीते तीन दशक से नहीं हो हुई है। हालांकि साल 2006 में तालाब में गंदगी फेंके जाने पर रोक लगाने को लेकर पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई थी। जिसपर हाईकोर्ट ने सरकार और प्रशासन को तालाब में गंदा पानी गिरने से रोकने का सख्त निर्देश दिया था।
इस निर्णय के बाद कुछ हद तक तालाब में प्रदूषण पर रोक लगी थी। बावजूद इसके बरसात में शहर का गंदा पानी तालाब में गिरता रहा। वहां की आबो हवा अब दूषित हो चुकी है । भद्र लोग अब वहां जाने से भी कतराते हैं । एक एक चिंता का विषय ही है कि इतने बड़े सम्राट का मकबरा अब सिर्फ प्रेमियों का मिलन स्पॉट बन के रह गया है।