पायलट पर चला गहलोत के ‘नंबर गेम’ का जादू, नरम पड़ गए सचिन के तेवर

राजस्थान:   राजस्थान (Rajasthan Politics) में पिछले एक महीने से चल रहे सियासी उठा पटक के बीच आखिरकार सचिन पायलट( Sachin Pilot) पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) से बातचीत करने के लिए तैयार हो गए। इस मुलाकात में सचिन पायलट ने समझौते के लिए अपनी कुछ शर्तें रखीं तो राहुल गांधी भी पीछे नहीं हटे, उन्होंने पायलट को उनके दोनों पदों पर वापसी का ऑफर दे दिया।

सचिन पर चला नंबर गेम का जादू

14 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से पहले अब यह तय हो गया है कि पायलट ने गहलोत सरकार को अभयदान दे दिया है। अब सवाल यह है कि पिछले काफी वक्त से गहलतो के तीखे बयानबाजी के बावजूद सचिन पायलट ने समझौता क्यों किया?

तो जनाब ये सियासी खेल हैं इसमें अपनी जीत के लिए अगर एक दूसरे के सामने झुकना भी पड़े तो मंजूर है। दरअसल सचिन पायलट के पास कांग्रेस के केवल 19 विधायक ही थे। तीन निर्दलीय विधायकों को मिला लें तो भी यह संख्या 22 ही पहुंच रही थी। 22 विधायकों की बगावत के बूते सरकार गिर सकती थी, तो बचने की संभावनाएं भी थीं. ऐसे में यह दोहरे जोखिम से भरा काम था।

पायलट समर्थक कुछ विधायकों ने उन्हें ऐन वक्त पर धोखा देकर अशोक गहलोत का हाथ थाम लिया था। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के विधायकों को लेकर फैसला भी जल्दी हो नहीं पा रहा था। अभी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं को दाखिल होने का दौर जारी था। ऐसे में 17 तारीख तक फैसला आ पाता या नहीं, इसे लेकर भी आशंका थी।

राहुल के सामने सचिन ने रखी शर्त

सचिन पायलट को यह डर भी था कि वसुंधरा राजे के समर्थक विधायक क्रॉस वोटिंग कर सरकार न बचा ले जाएं। पायलट ने पहले भी यह साफ कर दिया था कि वे भाजपा में नहीं जाएंगे। वे राजस्थान का अतीत देखते हुए क्षेत्रीय पार्टी बनाने को लेकर भी मन नहीं बना पा रहे थे ।इस पूरे मामले में गांधी परिवार ने सचिन पायलट के खिलाफ कुछ नहीं बोला था और पर्दे के पीछे गांधी परिवार सचिन पायलट की वापसी की कोशिशों में लगा रहा।

सचिन पायलट का गांधी परिवार से बचपन से ही करीबी रिश्ता रहा है। गांधी परिवार और सचिन पायलट मिले तो माहौल बेहद भावुक था। बता दें कि सचिन पायलट और गांधी परिवार की मुलाकात में सचिन पायलट ने अपने खेमे से दो वरिष्ठ विधायकों को उपमुख्यमंत्री बनाने और अन्य विधायकों को भी निगम-बोर्ड की कमान सौंपने की मांग की है ।

पायलट ने खुद को भविष्य का सीएम घोषित करने और राहुल गांधी की ओर से की गई घोषणाएं लागू कराने का भी ऐलान करने की शर्त रखी है। फिलहाल ये कहना गलत नहीं होगा कि गहलोत के नंबर गेम के जादू ने सचिन पायलट के तेवर को खत्म कर दिया।

 

 

 

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