Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों से वसूले गए करोड़ों रुपये वापस करे यूपी सरकार

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया है और यूपी सरकार (UP Government) ने कोर्ट को बताया कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सभी कारण बताओ नोटिस को वापस ले लिया गया है।

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अदालत ने सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की वसूली के लिए यूपी प्रशासन द्वारा जारी किए गए वसूली नोटिस को रद्द करने की मांग की गई याचिका पर अपना आदेश दिया था और इसे यूपी सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कोर्ट इसी मामले पर सुनवाई कर रही थी।

Supreme Court: कोर्ट ने फैसले के लिए 18 फरवरी तक का मांगा था समय

इसी सिलसिले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कारण बताने पर नोटिस रद्द करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2019 में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम विरोधी प्रदर्शनों में शामिल लोगों से संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए धन की वसूली के लिए यूपी सरकार को कठघरे में खड़ा किया और इस मामले में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने राज्य सरकार से कार्यवाही वापस लेने का एक अंतिम मौका देने को कहा था।

कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकार कारण बताओ नोटिस को वापस नहीं लेती है तो वह कार्यवाही को रद्द कर देगी, इसके लिए राज्य सरकार को कोर्ट ने 18 फरवरी तक का समय दिया था।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश- CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों से वसूले गए करोड़ों रुपये वापस करें यूपी सरकार

Supreme Court: सीएए विरोधियों ने सरकारी संपत्ति को पहुंचाया नुकसान

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा कि राज्य में सीएए विरोधी आंदोलन को लेकर सार्वजनिक सम्पतियों को विरोधियों ने नुकसान पहुंचाने की कोशिश की और इस भरपाई के लिए किये गए प्रदर्शनकारियों को नोटिस भेजे गए। वहीं नोटिस के खिलाफ परवेज आरिफ टीटू द्वारा दायर याचिका की थी और इस मामले में यूपी सरकार की अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कोर्ट को बताया कि राज्य में 833 दंगों के खिलाफ 106 प्राथमिकतायें दर्ज की गई।

Supreme Court: राज्य सरकार ने दंगों के खिलाफ लिया सख्त फैसला

आपको बता दें कि राज्य में 2019 के दौरान कई शहरों में सीएए विरोधी दंगे हुए थे और इस मामले में सार्वजनिक और निजी सम्पतियों को नुकसान पहुंचाया था। इसके बाद राज्य सरकार ने दंगों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए उनकी फोटो को सार्वजनिक स्थानों पर लगाया था, वहीं दंगों के खिलाफ राज्य सरकार ने नोटिस भी जारी किया था।

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