UP: पंचायत चुनाव को लेकर संशय बरकरार

लखनऊ: कोविड-19 (Covid-19) महामारी की मार इस साल उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में होने वाले पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) पर भी पड़ता दिख रहा है। बता दें इसी साल 15 दिसंबर तक ग्राम प्रधान समेत सभी पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। ऐसे में अबतक लखनऊ समेत 45 जिलों में परिसीमन (Limitation) यानी सीमा निर्धारण का काम पूरा नहीं किया जा सका है। लिहाजा पंचायत प्रतिनिधियों का चुनाव अक्टूबर-नवंबर में करवा पाना संभव नहीं है।

पंचायती राज विभाग का काम है अभी अधूरा
उत्तर प्रदेश के करीब 80 गांव नगर निगम की सीमा में शामिल हुए हैं, लेकिन अब तक इन सभी गांव का परिसीमन नहीं हो पाया है। यानी ये तय नहीं हो पाया है कि किस पंचायत में कितने गांव रहेंगे। बचे गांवों को किन पंचायतों में शामिल किया जाएगा। जिससे अभी तक इसका भी खाका तैयार नहीं कर पाया है। पंचायतों की तस्वीर साफ न होने से ग्रामीण इलाकों की वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण भी नहीं करवाया जा सका है।

लखनऊ, प्रयागराज, कानपुर समेत 45 जिलों में अटका है काम
लखनऊ के अलावा प्रयागराज, कानपुर, गोरखपुर और वाराणसी समेत 45 जिलों में परिसीमन न हो पाने से यहां के निकायों की तस्वीर भी साफ नहीं हो सकी है। एडीओ पंचायत का कहना है कि जब तक परिसीमन का काम पूरा नहीं होता, तब तक वोटर लिस्ट भी अपडेट नहीं हो पाएगी।

चारों पद के लिए चुनाव होंगे एक साथ
इस बार पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान, सदस्य ग्राम पंचायत, सदस्य क्षेत्र पंचायत और सदस्य जिला पंचायत का चुनाव एक साथ करवाया जाएगा। इसलिए ये जरूरी है कि सही तरीके के परिसीमन हो। पिछले चुनाव में इन चारों पद के लिए चुनाव अलग-अलग करवाया गया था।

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