आगामी बजट में कृषि का रखा जाएगा विशेष ध्यान: कैलाश चौधरी

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने गुरुवार को कहा कि आगामी बजट में कृषि क्षेत्र का विशेष ध्यान रखा जाएगा। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसान अपने हितों को लेकर करीब डेढ़ महीने से आंदोलनरत है, ऐसे में कृषि राज्यमंत्री का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि आगले वित्तवर्ष का बजट आने में अब एक महीने से भी कम समय बचा है।

कैलाश चौधरी का यह बयान इसलिए भी काफी मायने रखता है, क्योंकि किसानों के मसले का समाधान तलाशने और आंदोलन समाप्त कराने के प्रयास के तहत अगले दिन शुक्रवार को सरकार के साथ किसान नेताओं की आठवें दौर की अहम वार्ता होने जा रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नए कृषि कानून किसानों के हितों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं, फिर भी किसानों को अगर कोई आपत्ति है तो सरकार उनकी आपत्ति व संदेह को दूर करने के लिए कानून में संशोधन करने को तैयार है।
आंदोलनरत किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन नए कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, Prime Minister नरेंद्र मोदी कभी किसान विरोधी नहीं हो सकते। अब बात आती है सरकार की नीतियों की, तो मैं खुद एक किसान का बेटा हूं और मैंने खेती को जिया है। हल चलाने से लेकर फसले बोने तक मैं खेती-किसानी की हर बारीकी को जानता हूं, क्योंकि खुद मैंने वर्षो तक खेत में काम किया है।

हमने कानूनों का समर्थन करने वाले और विरोध करने वाले, दोनों ही तरह के किसानों से मुलाकात की है। मुझे यकीन है कि आंदोलन कर रहे किसान यूनियन किसानों के हितों का खयाल रखेंगे और वे तत्परता के साथ समाधान में लगे हुए हैं।

कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि कोरोना काल के भयंकर संकट के बावजूद कृषि क्षेत्र की विकास दर उत्साहवर्धक रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार भारतीय कृषि को वैश्विक बाजार से जोड़ने की दिशा में काम करने के साथ ही संकट से घिरे कृषि क्षेत्र को सुधारों के जरिये नई ऊंचाई पर पहुंचाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए व्यापक योजनाएं लागू की हैं, जिसका लक्ष्य 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करना है।

कैलाश चौधरी ने कहा कि जहां तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद का सवाल है तो सरकार इसके लिए लिखित में आश्वासन देने को तैयार है, इसलिए इसमें किसी प्रकार की भ्रांति नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि पराली दहन से संबंधित अध्यादेश को लेकर किसानों की जो आपत्ति थी और बिजली अनुदान को लेकर जो आशंका थी, सरकार ने दोनों विषयों पर किसानों की बात मान ली है। इसलिए किसानों के मन में अब यह शंका नहीं होनी चाहिए कि मोदी सरकार किसानों के हितों को कभी नजरंदाज कर सकती है।

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