SC ने मुहर्रम जुलूस निकालने की इजाजत देने से किया इनकार

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (SC) ने गुरुवार को कोविड-19 महामारी (Kovid-19 Epidemic) को देखते हुए पूरे देश में मुहर्रम जुलूस (Muharram procession) निकालने की इजाजत देने से इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस एस.ए.बोबडे (Chief Justice S.A. Bobde) जस्टिस एएस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) और वी. रामासुब्रमनियन (V. Ramasubramanian) की बेंच ने कहा, “सामान्य दिशा-निर्देश की अनुमति नहीं दे सकते। ये मामला पुरी या जैन मंदिर से अलग है, क्योंकि उनके ‘एरिया ऑफ ऐक्सेस’ की पहचान थी।”

जजों की बेंच ने कहा, “सामान्य आदेश पारित करना संभव नहीं है। इससे अफरा-तफरी की स्थिति पैदा होगी और एक निश्चित समुदाय को वायरस फैलाने के लिए निशाना बनाया जा सकता है।”

याचिकाकर्ता ने पुरी में रथयात्रा पर शीर्ष अदालत के आदेशों का हवाला दिया। पीठ ने जिसपर कहा कि पुरी मामले में एक निश्चित जगह थी, जहां रथ को एक खास जगह से दूसरी तय जगह जाना था। पीठ ने कहा, “अगर यह कोई खास जगह होती, हम खतरे का आंकलन कर सकते थे और आदेश पारित कर सकते थे।”

याचिकाकर्ता ने फिर मुंबई में कुछ जैन मंदिरों में पूजा करने की इजाजत देने के शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया। पीठ ने जिसपर कहा कि वह मामला प्रार्थना तक सीमित था। अदालत ने इसके साथ ही याचिकाकर्ता को लखनऊ में जुलूस निकालने की इजाजत नहीं दी।

इसपर याचिकाकर्ता ने कहा कि शिया लखनऊ में जमा हो गए हैं और वहां अनुमति दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इलाहबाद हाई कोर्ट का रूख करने को कहा।

25 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के बीच सीमित तरीके से मुहर्रम जुलूस निकालने की इजाजत वाली एक याचिका पर सुनवाई की थी।

प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और वी. रामासुब्रमनियन की पीठ ने याचिकाकर्ता सिप्ते मोहम्मद को चार सप्ताह के अंदर सभी 28 राज्यों को एक पार्टी बनाने की इजाजत दी थी।

याचिकाकर्ता ने शिया मुस्लिम समुदाय की ओर से मातम जुलूस आयोजित करने की इजाजत देने के निर्देश के लिए शीर्ष अदालत का रूख किया था।

पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता ने मामले में सभी राज्य सरकारों को पार्टी नहीं बनाया है। राज्य सरकारों को केंद्र के दिशानिर्देश के अंतर्गत आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू करने का अधिकार है। शीर्ष अदालत ने पाया कि मामले में किसी भी प्रकार के आदेश देने से पहले राज्य सरकारों को सुने जाने की जरूरत है। पीठ ने कहा कि जुलूस कई राज्यों में निकलेंगे और उन्हें सुने बिना वह आदेश पारित नहीं कर सकते।

 

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