Reservation in Promotion: सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन में रिजर्वेशन के लिए मापदंड तय करने से किया इनकार, जाने सुप्रीम कोर्ट ने और क्या-क्या कहा

Reservation in Promotion

Reservation in Promotion: सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों (Government Jobs) में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए प्रमोशन में आरक्षण देने लिए शर्तों को तय करने के लिए इनकार कर दिया। शुक्रवार को जस्टिस एल. नागेश्वर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि राज्य सरकारें एससी और एसटी के लिए सरकारी नौकरियों में प्रमोशन (Reservation in Promotion) के मानकों को तय करें। राज्य सरकारें प्रमोशन में आरक्षण देने से पहले मात्रात्मक डेटा एकत्र करने के लिए बाध्य हैं।

Reservation in Promotion

सुप्रीम कोर्ट  (Supreme Court) ने कहा कि अनुसूचित जाति (Scheduled Castes ) और अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के आकलन के साथ-साथ मात्रात्मक डेटा (quantitative data) को भी इकठ्ठा करना अनिवार्य है। पूरी सर्विस या ग्रुप से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है बल्कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व उन पदों के कैडर या ग्रेड के संदर्भ में देखा जाना चाहिए जिन पदों के लिए प्रमोशन मांगा गया है। ऐसे में मात्रात्मक डाटा कैडर के मद्देनजर एकत्र किया जाएगा जिनमें प्रमोशन की दरकार है।

प्रमोशन में आरक्षण (Reservation in Promotion) के लिए डाटा इकठ्ठा करना राज्य का काम सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि आरक्षण (Reservation) में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व (inadequate representation) का मामले को देखने का काम और डाटा तैयार करने का काम राज्य का है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार राज्य सरकार (State government) को ग्रेड के अनुसार अपर्याप्त प्रतिनिधत्व के डाटा को तैयार करने के बाद एससी एसटी को प्रमोशन में आरक्षण देना होगा। राज्य सरकारों का कहना था कि उनके रोस्टर के हिसाब से प्रमोशन में रिजर्वेशन देने का अधिकार होना चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि नागराज और जनरैल सिंह से संबंधित वाद में उसके पहले के दिए जजमेंट के आलोक में यह कहना चाहते हैं कि वह अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए डाटा एकत्र करने का मानदंड तय नहीं करेगा बल्कि ये राज्य की ड्यूटी है कि वह अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का डाटा तैयार करे। और उसके बाद प्रमोशन में आरक्षण दें।

संविधान के अनुसार प्रमोशन में आरक्षण (Reservation in Promotion) के लिए अपर्याप्त प्रतिनिधित्व

जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की खंडपीठ ने कहा कि यूनिट के लिए मात्रात्मक डाटा एकत्र करने का सवाल है तो अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का पता लगाने के का काम राज्य का है राज्य इसके लिए डाटा एकत्र करे। ये मात्रात्मक डाटा पूरे क्लास या ग्रुप या सर्विस के संदर्भ में नहीं हो सकता है बल्कि यह सिर्फ उस ग्रेड या कैटेगरी के लिए होगा जिसमें प्रमोशन चाहिए। यहां यूनिट कैडर के संदर्भ में देखा जाएगा और उसी के लिए अपर्याप्त प्रतिनिधित्व देखना होगा अगर पूरे सर्विस के संदर्भ में डाटा एकत्र किया जाएगा तो इन सब का कोई मतलब नहीं।

Reservation in Promotion

जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि प्रमोशन में आरक्षण के लिए बुनियादी जरूरत यह है कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का पता लगाया जाए और उसके लिए मात्रात्मक डाटा एकत्र किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने 68 पेज के फैसले में साफ किया कि संविधान के अनुच्छेद-16(4)(ए) कहता है कि प्रमोशन में रिजर्वेशन मिलेगा लेकिन इसके लिए राज्य को देखना होगा कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व हो। प्रमोशन सर्विस के क्लास में होता है। ऐसे में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए मात्रात्मक डाटा ग्रुप या सर्विस के अनुसार होगा तो यह नागराज और जरनैल सिंह संबंधित वाद के फैसले के खिलाफ होगा।

Reservation in Promotion- अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए राज्य को कैडर के अनुसार जस्टिफाई करना होगा

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने के लिए कैडर के मद्देनजर अपर्याप्त प्रतिनिधित्व की पहचान करनी होगी। ग्रुप और सर्विस के आधार पर डाटा एकत्र करने से पता नहीं चलेगा कि कैडर कितना अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है। रोस्टर कैडर के हिसाब से बनता है। अदालत ने साफ किया कि एससी एसटी के प्रतिनिधित्व का पता लगाने के लिए मात्रात्मक डाटा एकत्र किया जाता है ताकि प्रमोशन में रिजर्वेशन कैडर के हिसाब से हो और जहां अपर्याप्त प्रतिनिधित्व हो वहां प्रमोशन की दरकार का पता चले।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अभी केस वार तरीके से कोई ओपिनियन नहीं दे रहे हैं बल्कि सारी अर्जी में जो एक कॉमन सवाल था उसका हमने अभी जवाब दिया है और अगली सुनवाई 24 फरवरी को की जाएगी।

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