नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में एक नया सर्कुलर जारी किया गया है। इस सकरुलर के माध्यम से डीयू से सम्बद्व कॉलेज शिक्षकों और गैर शैक्षिक कर्मचारियों से अप्रैल से अभी तक की उपस्थिति का रिकॉर्ड मांगा जा रहा है। शिक्षक संगठनों के मुताबिक दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों से उनके ट्रांसपोर्ट अलाउंस (टीए) की रिकवरी का प्रयास किया जा रहा है।
शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के मुताबिक कॉलेजों के पास कोरोना काल के दौरान शिक्षकों की उपस्थिति का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। ऐसी स्थिति में कॉलेज शिक्षकों व कर्मचारियों का रिकॉर्ड न होने पर शिक्षकों से उनके ट्रांसपोर्ट अलाउंस (टीए) की रिकवरी किए जाने की कोशिश की जा रही है। डीटीए ने इस कार्वाई की निंदा करते हुए केंद्र सरकार से तुरंत यह सर्कुलर वापस लेने की मांग की है।
आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के प्रभारी प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा, यदि कॉलेजों के प्रिंसिपल ने शिक्षकों से ट्रांसपोर्ट अलाउंस की रिकवरी की तो डीटीए विश्वविद्यालय में व्यापक स्तर पर आंदोलन करेगा।
प्रोफेसर सुमन ने बताया कि हर कॉलेज अप्रैल 2020 से अभी तक की उपस्थिति का रिकॉर्ड मांग रहा है। उनका कहना है कि शिक्षकों की उपस्थिति का कभी भी दिल्ली विश्वविद्यालय में सिस्टम नहीं रहा है। शिक्षकों की क्लास पढ़ाना ही उनकी उपस्थिति है।
छात्रों की उपस्थिति ही उनकी उपस्थिति होती है कि वे कॉलेज आए हैं। कोरोना काल के दौरान छात्रों के पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए शिक्षकों ने उनकी नियमित रूप से ऑनलाइन क्लॉसेज ली है। उनका क्लास लेना ही उनकी उपस्थिति है।
उनका यह भी कहना है कि कोरोना काल के समय में भी कॉलेज संबंधी कार्यों के लिए आते रहे हैं, शिक्षकों ने कॉलेजों में एडमिशन, एग्जामिनेशन, लेबोरेट्री और पुस्तकालय व पेपर चेकिंग आदि के लिए आते रहे हैं।
दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले 28 वित्त पोषित कॉलेजों में ट्रांसपोर्ट अलाउंस (टीए) की रिकवरी न हो इसके लिए टीचर्स एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से मिलेगा। सिसोदिया से मांग की जाएगी कि वे दिल्ली सरकार के कॉलेजों के शिक्षकों से ट्रांसपोर्ट अलाउंस की रिकवरी न करें।
प्रोफेसर सुमन का यह भी कहना है कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन में घर से बाहर न निकलने के निर्देश दिए थे और अब वह शिक्षकों से कॉलेजों में उपस्थित न होने पर उनसे ट्रांसपोर्ट अलाउंस के नाम पर रिकवरी करना बेहद ही चिंताजनक है।
उनका कहना है कि यदि शिक्षकों के ट्रांसपोर्ट अलाउंस की रिकवरी की जाती है तो उनकी पूरी तनख्वाह चली जायेगी। वैसे ही जनवरी महीने में शिक्षकों का इनकम टैक्स के रूप में टैक्स काटा जा रहा है वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए सर्कुलर के आधार पर ट्रांसपोर्ट अलाउंस के नाम पर शिक्षकों से रिकवरी की जा रही है।