नई दिल्ली: रेप जैसे गंभीर अपराध को अंजाम देने के बाद आरोपियों का बचना अब मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो सकता है। केंद्र सरकार ने महिलाओं और बच्चियों के साथ रेप और दुष्कर्म जैसी वारदातों में मौका-ए-वारदात से सबूत जुटाने के लिए राज्यों को 14 हजार से ज्यादा फोरेंसिक किट उपलब्ध कराए हैं।
फोरेंसिक किट से अब आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटाने में आसानी होगी तो वहीं ऐसा घटनाओं की वैज्ञानिक तरीक से जांच में तेजी आएगी। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ये फोरेंसिक किट निर्भया निधि से खरीद कर राज्यों को उपलब्ध कराया है। किट के इस्तेमाल से यौन हमलों के सबूत जुटाने में पुलिस को आसानी होगी।
बता दें कि रेप जैसे मामलों में दोषियों तक पहुंचने के लिए घटनास्थल से लेकर छोटे से छोटे सबूत भी काफी अहम होते हैं। पुलिस के पास फोरेंसिक किट न होने की वजह से कई बार जरूरी सबूत जुटाने में दिक्कतें होती हैं। जिससे कई बार अपराधियों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। और आरोपी खुद को बचाने में कामयाब भी हो जाते हैं।
महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, कुल 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 14,960 फोरेंसिक किट उपलब्ध कराई गई हैं। इस किट को मंत्रालय ने यौन हमला साक्ष्य संग्रहण (SAEC) नाम दिया है। निर्भया फंड के 2.97 करोड़ रुपये की लागत से ये किट खरीद कर राज्यों को भेजी गई।
दरअसल, लोकसभा में बीते शुक्रवार को कोयंबटूर सीट से कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के लोकसभा सांसद पीआर नटराजन के सवाल पर महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सभी राज्यों को मिले फोरेंसिक किट के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश को सबसे ज्यादा 3056 किट, मध्य प्रदेश को 1187, राजस्थान को 1452, पश्चिम बंगाल को 454, झारखंड को 426, हरियाणा को 787, दिल्ली को 483 किट उपलब्ध कराए गए हैं।
अब देखना होगा कि केंद्र सरकार की ओर से किया गया ये प्रयास रेप मामलों में कितनी मददगार साबित होता है।