“जनाजे पर मेरे लिख देना यारों मोहब्बत करने वाला जा रहा है” – राहत इंदौरी

कुछ महीनों पहले इंदौर के अभय प्रशाल स्टेडियम में एक बहुत बड़ा मुशायरा हो रहा था। जिसके पीछे बैनर पर लिखा था “जश्न-ए-राहत”, देश का हर बड़ा शायर वहां मौजूद था। राहत साहब जब मंच पर आए तो उन्होंने कहा कि “ये लोग बहुत वक्त से जिद कर रहे थे कि जश्न-ए-राहत कराते हैं, पर मैं ही बार-बार टाल रहा था, पर इस साल मुझे शायरी करते हुए 50 साल हुए हैं तो मैंने कहा कि अब सही वक्त है जश्न-ए- राहत कराने का, अगर कुछ देर और कर दी तो कुछ दिन बाद ‘याद-ए-जश्न-ए-राहत’ कराना पड़ेगा”। तब राहत साब ने यह बात मजाकिया लहजे में कही थी, पर कौन जानता था कि यह मजाक में कही बात सच हो जाएगी। कोरोना ने आज हमारे अदब का सबसे चमकदार सितारा छीन लिया है।

आज सुबह ही राहत इंदौरी साहब ने सोशल मीडिया पर सूचना दी थी कि वह कोविड-19 पॉजिटिव हैं और उनको पहले से निमोनिया भी था। अरविंदो अस्पताल में इलाज के दौरान उनको दो बार हार्ट अटैक आया और डॉक्टर उनको बचाने के प्रयासों में असफल रहे।

कहते हैं ना कि एक शायर, एक अदीब कभी मरता नहीं। वह हमेशा जिंदा रहता है अपनी शायरी के जरिए अपनी कलम की वजह से हमेशा जाना जाता है। राहत इंदौरी वो शायर थे जो मुल्क के दिल के हाल को शब्द देते थे। शायर तो कई हुए पर सब का अंदाज राहत साहब जैसा नहीं हो सकता। कोई नया लड़का शायरी सीखने की तरफ जाता है तो वह सबसे पहले राहत इंदौरी जैसा बनना चाहता है।

राहत साहब के शेर का एक मिसरा “किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है” ये सिर्फ उनकी ग़ज़ल का एक शेर नहीं रह गया था, बल्कि पिछले तीन दशकों में कई आंदोलनों की आवाज बना। राहत साहब ने दुनिया के आधे देशों की यात्राएं शायरी की बदौलत की थी और हर जगह उनके लिए वही क्रेज देखने को मिला जो उनके अपने शहर इंदौर में दिखता था।

राहत साहब का निजी जीवन

1 जनवरी 1950 को इंदौर में जन्मे राहत साहब ने 10 साल से कम उम्र में ही शहर के साइन बोर्ड चित्रकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया था, बहुत कम लोग उनको एक साइन बोर्ड चित्रकार के रूप में जानते हैं। स्कूल के ही दिनों से वह मंच के शायर के रूप में स्थापित होने लगे थे और धीरे-धीरे उनकी ख्याति पूरे विश्व में फैल गई। जहां कहीं भी उर्दू शायरी पहुंची वहां राहत साहब खुद ब खुद पहुंच गए, अपने दौर के सबसे बड़े शायरों के साथ उन्होंने मंच साझा किया। उन्होंने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से स्नातक किया और उसके बाद पीएचडी करने के बाद कई वर्षों तक के एक विश्वविद्यालय में पढ़ाया भी। मंचों की शायरी के अलावा उन्होंने 100 से ज्यादा फिल्मों में गाने भी लिखें और उनकी 5 से अधिक किताबें प्रकाशित भी हुई हैं।

राहत साहब का जाना उर्दू अदब और पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है।

राहत इंदौरी के निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, कुमार विश्वास और बॉलीवुड के कई सितारों रणदीप हुड्डा, अदनान सामी, कोमल नाहटा समेत कई बड़ी हस्तियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

 

जुगल किशोर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *