प्रयागराज: कन्हैया की नागरिकता खत्म करने संबंधी याचिका खारिज

प्रयागराज: जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष (JNU Students’ Union President) रहे कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar)  की नागरिकता खत्म (Citizenship over) करने की मांग को लेकर दायर याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने शनिवार को खारिज (Dismissed) कर दिया। कोर्ट ने इसे सस्ती लोकप्रियता (Cheap popularity) के लिए दाखिल की गई याचिका करार देते हुए याची पर 25 हजार रुपये का जुर्माना (25 thousand fine) लगाया है। कोर्ट ने जुर्माने की रकम एक महीने के भीतर जमा करने का निर्देश दिया है।

याचिका पर न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता और न्यायमूर्ति शमीम अहमद की पीठ ने सुनवाई की। याचिका में कहा गया कि जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने नौ फरवरी, 2016 को जेएनयू परिसर में देश विरोधी नारे लगाए थे। जिस पर उनके खिलाफ देशद्रोह की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज है। दिल्ली में इस मुकदमे का ट्रायल चल रहा है।

कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद (Article of the constitution) 5 (सी) और भारतीय नागरिकता कानून 1955 की धारा 10 के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि किसी भारतीय नागरिक को उसकी नागरिकता से सिर्फ तभी वंचित किया जा सकता है, जब उसे Naturalization (विदेशी व्यक्ति को भारत का नागरिक बनाने की प्रक्रिया) या संविधान में प्रदत्त प्रक्रिया (Procedure provided in the Constitution) के तहत नागरिकता दी गई हो।

कन्हैया कुमार भारत में ही पैदा हुए हैं। वह जन्मजात भारत के नागरिक हैं। इसलिए सिर्फ मुकदमे का ट्रायल चलने के आधार पर उनकी नागरिकता खत्म नहीं की जा सकती।

कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता ने कानूनी प्रावधानों का अध्ययन किए बगैर महज सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए यह याचिका दाखिल की है। वह भी ऐसे समय में, जब कोरोना संक्रमण के कारण अदालतें सीमित तरीके से काम कर रही हैं और मुकदमों का बोझ बहुत है। ऐसे में इस प्रकार की फिजूल की याचिका दाखिल करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग और अदालत के कीमती वक्त की बर्बादी है।

 

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