ऑनलाइन पिंडदान को लेकर पंडा समाज का विरोध

गया Gaya, बिहार Bihar। कोरोना महामारी के कारण सामाजिक और धार्मिक आयोजनों पर पाबंदी है। ऐसी हालत में भीड़ से बचने के लिए सरकार ने online दर्शन और पूजन की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया है। इस पर बिहार के गया में पितृपक्ष मेले का online आयोजन किए जाने पर पंडा समाज का विरोध प्रदर्शन सामने आ रहा है। महामारी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने मेले का आयोजन स्थगित कर दिया है।

कोरोना महामारी के मद्देनजर state government ने guidelines जारी किए हैं कि त्योहारों में धूम धाम नहीं होनी चाहिए। ऐसे में बिहार के गया में पितृपक्ष का मेला भी स्थगित कर दिया गया है। हर वर्ष हजारों लोग पितरों के नाम पर पिंडदान (pinddaan) के लिए गया आते थे। जबकि इस बार विष्णुनगरी में सन्नाटा पसरा है। सरकार के धार्मिक आयोजनों पर रोक के बाद जिला प्रशासन ने इस बार के मेले पर पाबंदी लगा दी है।

आपको बता दें कि पितृपक्ष प्रारंभ होने के एक दिन पहले पुनपुन नदी में तर्पण, पिंडदान करने के लिए श्रद्घालु यहां पहुचते हैं और पितृपक्ष प्रारंभ होने के साथ विभिन्न पिंडवेदियों पर पिंडदान करते हैं। इस बार मेले को रद्द करने के बाद प्रशासन तीर्थयात्रियों को गया पहुंचने के लिए मना कर रहा है।

ऑनलाइन पिंडदान पर विरोध

दूसरी तरफ पंडों ने ऑनलाइन पिंडदान का विरोध करते हुए इसका बहिष्कार कर दिया है। तीर्थ और वृत्ति सुधारिणी सभा के अध्यक्ष गजाधर लाल कटियार ने बताया कि मोक्षस्थली गया में पिंडदान ना कभी रुका है और ना कभी रुकेगा।श्रद्घा से ही श्राद्घ की उत्पति हुई है। ऑनलाइन पिंडदान की कई संस्थाओं ने व्यवस्था की है, लेकिन हमलोगों ने इसका विरोध किया है।

पंडा महेश गायब ने जानकारी दी कि धर्मशास्त्र में कहीं भी ऑनलाइन की व्यवस्था का उल्लेख नहीं है। पिंडदान पुत्रों द्वारा पितृऋण से मुक्ति का मार्ग है, लेकिन जब पुत्र ही उपस्थित नहीं होगा तो फिर यह तो धोखा है। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन और ई पिंडदान रोकने के लिए पंडा समाज में 21 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। इसके द्वारा करीब 700 ऑनलाइन बुकिंग रद्द कर दी गई है।

पिंडदान की मान्यता

आपको बता दें कि हिंदू धर्म में पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए पिंडदान अहम कर्मकांड है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को ‘पितृपक्ष’ या ‘महालय पक्ष’ कहा जाता है। जिसमें लोग अपने पुरखों का पिंडदान करते हैं।कहा जाता है कि पिंडदान करने से मृतात्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे तो पिंडदान के लिए कई धार्मिक स्थान हैं परंतु सबसे प्रसिद्ध स्थल बिहार के गया को माना जाता है।

गया में पितृपक्ष मेले को राजकीय मेले का दर्जा मिला हुआ है। इस मेले में कर्मकांड का विधि-विधान कुछ अलग प्रकार का है। श्रद्घालु एक दिन, तीन दिन, सात दिन, 15 दिन और 17 दिन तक का कर्मकांड करते हैं। कर्मकांड करने आने वाले श्रद्घालु यहां रहने के लिए तीन-चार महीने पूर्व से ही इसकी व्यवस्था कर चुके होते हैं।

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