भारत सरकार (Government of India) ने पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) के निधन पर सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। पूर्व राष्ट्रपति के सम्मान में 31 अगस्त से 6 सितंबर तक राष्ट्रीय ध्वज झुका रहेगा।गृह मंत्रालय ने कहा कि राजकीय शोक के दौरान देश भर में सरकारी भवनों पर तिरंगा आधा झुका रहेगा और कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं होगा।
फ्लैग कोड ऑफ़ इंडिया के प्रोटोकॉल के अनुसार इस राष्ट्रीय शोक के दौरान, पूरे भारत के अलावा विदेश स्थित भारतीय संस्थानों (जैसे एंबेसी इत्यादि) में भी राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे ।आधिकारिक प्रोटोकॉल की बात करें तो सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा यूं तो केवल वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की मृत्यु पर ही होता है।
हालांकि इन मामलों में कभी कभी जनता के भावनाओं का कद्र करते हुए प्रोटोकॉल इत्यादि की औपचारिकता नहीं निभाई जाती है । इससे पहले राजीव गांधी (1991), मोरारजी देसाई (1995) और चंद्रशेखर सिंह (2007) भी ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री हैं जिनकी मृत्यु पद पर न रहते हुए हुई और उनके लिए राजकीय अंतिम संस्कार का आयोजन किया गया था ।
पूर्व राष्ट्रपति के तौर पर प्रणव दा के निधन पर भी भारत में सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है । प्रणव दा कभी कांग्रेस के संकट मोचक भी रहे तो कभी कांग्रेस से उपेक्षित भी रहे । वे 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव के बाद राजीव गांधी की समर्थक मण्डली के षड्यन्त्र के शिकार हुए जिसके वजह से इन्हें मन्त्रिमंडल में शामिल नहीं होने दिया गया।
कुछ समय के लिए इस वरिष्ठ नेता को कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया गया। उस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक दल राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया, लेकिन सन 1989 में राजीव गान्धी के साथ समझौता होने के बाद उन्होंने अपने दल का कांग्रेस पार्टी में विलय कर दिया।