अंग्रेजों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाली संचार सुविधा ऑप्टिकल टेलीग्राफी ( optical telegraphy) के दो टावर (Two Tower) बिहार (BIHAR) के कैमूर (KAIMOOR) जिले में मिले हैं। अंग्रेजी सरकार इस टेलीग्राफ तकनीक (Telegraph technique) के माध्यम से कूट संदेशों का आदान-प्रदान करती थी।
कैमूर जिला के रामगढ़ प्रखंड स्थित सहूका गांव के युवा इंजीनियर अजीत कुमार ने पांच वर्षों के अध्ययन के बाद इस पुरातन तकनीक का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों के जमाने में बने ऐसे टावर पश्चिम बंगाल के कोलकाता से लेकर उत्तर प्रदेश के चुनार तक फैले थे जिसका अवशेष जिले के चैनपुर प्रखंड के करजी गांव और भभुआ प्रखंड के रतवार गांव के पास देखने को मिले हैं।
दो सदी पूर्व बने ऑप्टिकल टेलीग्राफी टावर में तीन मंजिल(floor) और आधा दर्जन दरवाजे हैं। तीनों फ्लोर पर आमने-सामने दो दरवाजे हैं। टावर के सबसे ऊपर कूट संकेत भेजने के लिए लकड़ी के दो आर्म्स या विभिन्न रंगों के झंडे लगाए जाते थे, जिसका संकेत सुदूरवर्ती टावर पर मौजूद व्यक्ति दूरबीन से देख कर समझ जाता था।
अजित कुमार बताते हैं कि करीब 1810 ई. में अंग्रेजों ने इस तकनीक को भारत में लाया। इसके माध्यम से कोलकाता से चुनार तक के 600 किमी के क्षेत्र में मात्र 50 मिनट के अंदर संदेश भेज दिए जाते थे ।