बिहार: अब दागदार नेताओं के लिए विधानसभा पहुंचना नहीं होगा आसान

पटना: अब अपराधिक छवि वाले नेताओं के लिए चुनावी राह आसान नहीं होगी। अब विधानसभा तक पहुंचने के लिए आपराधिक छवि वाले नेताओं के लिए किसी पापड़ बेलने से कम नहीं होगा।

चुनाव आयोग ने ऐसे उम्मीदवारों और प्रत्याशियों के लिए गाइडलाइन को और सख्त बना दिया है।  चुनाव आयोग इस कोशिश में लगी हुई है कि जनता अधिक से अधिक बेदाग छवि वाले प्रत्याशियों का चयन करे और उन्हें सदन तक पहुंचा सके।

आपराधिक छवि के लोगों पर सख्ती के इरादे से चुनाव आयोग ने नई गाइड लाइन जारी की है। नई गाइड लाइन के मुताबिक अब प्रत्‍याशियों को अपनी आपराधिक करतूतों को जनता के सामने सार्वजनिक करना होगा।

 पूरी तरह पारदर्शी होगी चुनाव आयोग की नई गाइडलाइन

दागदार छवि वाले नेताओं के लिए चुनाव आयोग ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। राज्य के उप निर्वाचन पदाधिकारी बैजू नाथ कुमार सिंह ने बताया कि इसके पहले दागदार छवि वाले प्रत्याशियों को फॉर्म 26 के पारा पांच-छह में आपराधिक मामलों की जानकारी देनी होती थी।

नई गाइडलाइन में यह व्यवस्था की गई है कि जिन प्रत्याशियों के खिलाफ मामले दर्ज हैं, उन्हें नामांकन के बाद नाम वापसी के चार दिनों के अंदर अपने ऊपर चल रहे या लंबित आपराधिक मामलों का पहला विज्ञापन विधानसभा क्षेत्र में प्रसारित अखबार में कराना होगा। दूसरी बार यही विज्ञापन नाम वापसी के पांचवे से आठवें दिन और तीसरी बार मतदान के ठीक एक दिन पहले समाचार पत्र में प्रकाशित कराना होगा।

जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि आयोग का मानना है कि मतदाताओं को अपने प्रत्याशी के आपराधिक मामलों की जानकारी होगी तो वे सोच समझकर मतदान करेंगे। साथ ही इस व्यवस्था के प्रभावी होने से सदन के अंदर साफ-सुथरी छवि वाले विजयी उम्मीदवार पहुंचेंगे। नई व्यवस्था पूरी तरह से पारदर्शी होगी और मतदाताओं को उम्मीदवार के बारे में हर प्रकार की जानकारी मिल सकेगी।

चुनाव आयोग की इस नई व्यवस्था के बाद बिहार के चुनावी रण में कई नेताओं के होश उड़े हुए हैं। ऐसे में ये देखना होगा कि चुनाव आयोग की इन नई गाइडलाइन कितनी कारगर साबित होती है।

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