नेपाल (Nepal)। नेपाल में ओली सरकार (Oli Government) डिप्लोमेटिक कोड ऑफ कंडक्ट (Diplomatic code of conduct) में बदलाव करने जा रही है। जिसके बाद नेपाल में राजदूत और फॉरेन डिप्लोमेट अब सीधे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से नहीं मिल सकेंगे। यह फैसला चीनी राजदूत होउ यांगकी को लेकर किया गया है।
आपको बता दें कि नेपाल में चीनी राजदूत मई से लेकर जुलाई के भी कई बार नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेताओं सहित प्रधानमंत्री ओली से सीधे तौर पर मिल चुकी हैं। यहां तक की उन्होंने कई बार राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से भी बिना किसी प्रोटोकॉल के मुलाकात की है।
नेपाल में हुए इन घटनाओं के बाद नेपाली मीडिया और विपक्ष डिप्लोमेटिक कोड ऑफ कंडक्ट में सुधार की मांग करने लगा। वहीं विदेश मंत्रालय भी यही चाहता है कि डिप्लोमेटिक प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। मंत्रालय का कहना है कि नेपाल में भी वही नियमों का पालन होना चाहिए जैसा कि दूसरे देशों में होता है।
आपको बता दें कि नेपाल में इस बदलाव की तैयारी 2016 से ही चल रही थी। हालांकि कुछ समय पहले तक या ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। अब दोबारा से इसमें बदलाव की कवायद तेज हो गई है। नेपाल में चीन के राजदूत पर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से सीधे मुलाकात करने का आरोप लगाया। वहीं भारत के राजदूत पर भी कई नेताओं से मिलने का हवाला दिया।
इसके मद्देनजर विदेश मंत्रालय ने नेपाल के 7 राज्यों में सात अधिकारियों की तैनाती भी की है। इन अधिकारियों की यह जिम्मेदारी होगी कि कोई भी डिप्लोमेटिक अधिकारी सरकार के मंत्री या मुख्यमंत्री से सीधे तौर पर मुलाकात नहीं कर सकेगा।
आपको बता दें कि यह कहा जा रहा है कि चीनी राजदूत यांगकी ने बीते दिनों ओली सरकार को धरा शाही होने से बचाया था। इन दिनों भारत के लद्दाख में चीन से विवाद होने के बाद नेपाल से भी खींचतान बनी हुई थी।