पटना: चुनावी पिच पर अगर मास्टर स्ट्रोक (Master Stroke) खेलने का हुनर हो तो दमदार विपक्ष भी सियासी खेल में पिछड़ सकता है। और ये बात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश से बढ़िया भला कौन जान सकता है।
सीएम नीतीश कुमार (CM NITISH KUMAR) ने विधानसभा चुनाव (Assembly elections) से ठीक पहले नियोजित शिक्षकों (Employed teachers) के लिए सेवा शर्त लागू कर (Service condition applied) विपक्ष को चुनावी मैदान से खदेड़ने की तैयारी शुरु कर दी है। जी हां नीतीश ने चुनावी पिच पर उतरने से पहले ही मास्टर स्ट्रोक चला है। नीतीश के मास्टर स्ट्रोक को रोकने के लिए फिलहाल विपक्ष के पास कोई दांव नहीं है।
बता दें कि बिहार मंत्रिमंडल (Bihar cabinet) ने मंगलवार को कक्षा 1 से 12 वर्ग के लिए 4 लाख से अधिक पंचायत राज संस्थाओं और नगर निकायों (Panchayat Raj Institutions and Municipal Bodies) के शिक्षकों के लिए सेवा नियमों को मंजूरी दे दी है। उन्हें अब सरकारी शिक्षकों की तरह कर्मचारी भविष्य निधि (EPF ) योजना और अंतर-जिला स्थानांतरण का लाभ मिलेगा।
इसके अनुसार, शिक्षकों को कर्मचारी भविष्य निधि (EPF ) का लाभ सितंबर, 2020 से ही दिया जाएगा। वहीं इन शिक्षकों के मूल वेतन में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है, जिसका लाभ एक अप्रैल, 2021 से मिलेगा। ऐसे में कहा जा रहा है नीतीश सरकार ने चुनावी घोषणा की है।
इस साल चुनाव में इन नियोजित शिक्षकों के परिवारों का साथ मिल गया तो ठीक है, वरना इनके वेतन वृद्धि के लिए आने वाली सरकार के लिए ‘सिरदर्द’ होगा।
वहीं विपक्ष इसे चुनावी स्टंट बता रहा है। राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी के मुताबिक यह केवल चुनावी ‘लॉलीपॉप’ के अलावा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार को वेतन में बढ़ोतरी करनी ही थी तो इसी साल से क्यों नहीं दे रही है।
वहीं बीजेपी के प्रवक्ता डॉ़ निखिल आनंद ने कहा कि नियोजित शिक्षकों के हित में यह क्रांतिकारी फैसला है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार शिक्षा और शिक्षकों के बेहतरी के लिए राजग सरकार संकल्पित है।
क्या वाकई बिहार सरकार शिक्षा और शिक्षकों की बेहतरी के लिए गंभीर है या ये महज चुनावी झुनझुना है। ये तो वक्त ही बताएगा