सेना के जवान या तो सही सलामत घर लौटते हैं या तिरंगे में लिपट कर शहीद होकर। पर उसे क्या कहा जाते जब महीनों तक किसी जवान की कोई सूचना ही ना हो, नया सेना के पास ना परिजनों के पास। इसी तरह का वाकया उत्तराखंड के एक जवान हवलदार राजेन्द्र सिंह नेगी और उनके परिजनों के साथ हुआ था जब अचानक ही राजेन्द्र सिंह नेगी लापता हो गए और जब कई महीनों तक उनको ढूढ़ने की कोशिश असफल रही तो उन्हें शहीद घोषित कर दिया।
क्या है घटना –
11 गढ़वाल राइफल्स में हवलदार के पद पर तैनात राजेंद्र सिंह नेगी की पोस्टिंग कश्मीर के गुलमर्ग में थी और 9 जनवरी को गश्त के दौरान वो बर्फ में फिसल कर पाकिस्तान बॉर्डर पर चले गए। उसके बाद उनका कोई सुराग नहीं मिला। सेना परिजनों को आश्वाशन देती रही पर परिजनों का रो रो कर बुरा हाल हो गया, वो राजेंद्र सिंह नेगी को जीवित या उनका पार्थिव शरीर ढूंढ लाने की बात बार बार करते रहे। इस बीच मुख्यमंत्री ने भी परिजनों को ढांढस दिया कि हर सम्भव कोशिश की जा रही है।
जब उनको ढूंढने की कोशिशें नाकाम होने लगी तो मई माह में सेना ने राजेन्द्र सिंह नेगी को बेटल कैजुअल्टी के तौर पर शहीद घोषित कर दिया।
आखिर 15 अगस्त को सेना की तरफ से खबर आई कि राजेन्द्र सिंह नेगी का शव बर्फ के नीचे से बरामद कर लिया गया है जिसे विशेष वाहन से दिल्ली ले जाया जाएगा और वहां से रविवार को हरिद्वार में पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा। ये सूचना मिलने के बाद से परिजन बेसुध हैं।
मूल रूप से चमोली जिले के पज़याणा गाँव के राजेन्द्र सिंह के पत्नी और बच्चे इन दिनों देहरादून में रहते हैं और उनके माता पिता गांव में ही रहते हैं।
शहीद राजेंद्र सिंह नेगी का पार्थिव शरीर मिलने पर सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी ट्वीट कर अपनी संवेदना व्यक्त की और शहीद राजेंद्र सिंह नेगी को श्रद्धांजलि दी। साथ ही परिवार को विश्वास दिलाया कि सरकार उनके साथ खड़ी है।