Mangla Gauri Puja: जानिएं क्यों किया जाता है मंगलागौरी व्रत और इसका क्या है महत्व

Mangla Gauri Puja

Mangla Gauri Puja: इस वर्ष 23 जुलाई से सावन के पावन महीने की शुरूआत होने वाली है जो अगले 22 अगस्त तक चलेगी। ऐसे में सावन के महीने में जितना महत्व सावन के सोमवार का है उतना ही महत्व सावन के मंगलवार का भी है। आपको बता दें, सावन के महीने में मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जा ता है। माता गौरी को समर्पित को समर्पित यह व्रत सावन के हर मंगलवार को रखा जाता है।

Mangla Gauri Puja: क्यों किया जाता है मंगलागौरी व्रत

Mangla Gauri Puja
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आपको बता दें, यह व्रत सुहागन महिलाएं जहां जीवन साथी और संतान के सुखद जीवन की कामना के लिए करती हैं, वहीं अविवाहित लड़कियां अच्छे जीवनसाथी पाने के लिए करती हैं। इसके अलावा जिनकी कुंडली में मंगल दोष होता है वह भी इस व्रत को करते हैं। मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से दोष तो मंगल दोष तो दूर होता ही है साथ ही यह व्रत बहुत फलदायी भी होता है। शास्त्रों के मुताबिक इस व्रत को शुरू तरने के बाद लगातार 5 वर्षों तक करना चाहिए, उसके बाद पूरे विधि विधान के साथ इस व्रत का उद्यापन करना चाहिए।

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Mangla Gauri Puja: मंगला गौरी व्रत की पूजा सामग्री

मंगला गौरी व्रत पूजा के दौरान सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में होनी चाहिए, क्योंकि यह अंक सुहागनों के लिए अत्यंत शुभ होता है। व्रत की शुरूआत करने के लिए पूजा में प्रयोग में आने वाली सामग्री में सबसे पहले आप एक पूजा के लिए चौकी लें, उसके बाद सफेद और लाल रंग का कपड़ा खरीद लें। धूपबत्ती, कपूर, माचिस, आटे का चौमुखी दीपक, कलश और अगरबत्ती। गेहूं और चावल। सोलह-सोलह तार की चार बत्तियां। स्वच्छ और पवित्र मिट्टी, जिससे कि मां गौरी की प्रतिमा का निर्माण किया जा सके.अगर आप प्रतिमा निर्माण करने में असमर्थ है तो आप प्रतिमा खरीद सकती है।

Mangla Gauri Puja
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अभिषेक के लिए दूध, पंचामृत और साफ जल। कुमकुम, चावल, अबीरा, हल्दी जरूर रखें।  मां गौरी के लिए नए वस्त्र। सोलह प्रकार के फूल, माला ,फल, आटे के लड्डू और पत्ते। 7 प्रकार के अनाज और पंचखोका। 16 सुपारी, पान ओर लौंग रखे लें। पूजे के दौरान इसकी जरूरत पड़ सकती है। सुहागन पिटारी रख लें। जिसमें खासतौर पर मेहंदी, नेलपॉलिश, 16 चूड़ियां, हल्दी, कंघा, तेल, आईना, मंगलसूत्र, बिछिया, सिंदूर होना चाहिए।

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