• पोषण वाटिका में सहजन के पौधे लगाने पर ज़ोर
• हरी साग सब्जियों में सबसे गुणकारी है सहजन
गाज़ीपुर,Ghazipur: बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग सहित अन्य छह विभागों के साथ पोषण माह के तहत पोषण वाटिका लगाए जाने पर जोर दिया जा रहा है। जिसमें गर्भवती और कुपोषित बच्चों के खान-पान पर ध्यान दिया जा रहा है। शासन द्वारा चलायी जा रही योजनाओं के माध्यम से पुष्टाहार व अन्य हरी साग सब्जियाँ देकर कुपोषण को दूर करने की योजना है।
इसके अन्तर्गत सहजन, गिलोय और तुलसी का पौधा लगाने पर जोर दिया गया है। इन सभी पौधों में सहजन का पौधा कुपोषण को दूर भगाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इसीलिए शासन द्वारा पोषण वाटिका का भी निर्माण कराने पर जोर दिया जा रहा है। इस वाटिका में भी सहजन के पेड़ लगाने पर जोर दिया जा रहा है।
इस दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) दिलीप कुमार पांडेय का कहना है कि जिले में करीब 4,127 आंगनबाड़ी केंद्रों पर कम से कम एक सहजन का पौधा लगाया जाएगा। वहीं हर ब्लॉक में पाँच-पाँच पोषण वाटिका के हिसाब से करीब 81 पोषण वाटिका लगाई जा चुकी हैं।
पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा कुपोषण भी होगा दूर
इन पौधों के वृक्ष बनने से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा साथ ही स्वस्थ समाज की परिकल्पना भी साकार होगी। वहीं सहजन के प्रयोग से गर्भवती का स्वास्थ्य बेहतर होगा। साथ ही कुपोषित बच्चों में भी कुपोषण दूर होगा। जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए रोज नए प्रयास किए जा रहे हैं।
नियमित रुप से सब्जी, फल और भोजन में सहजन के प्रयोग करने से शरीर स्वस्थ रहता है। वहीं बीमारियों से लड़ने की ताकत रहती है। भोजन में पोषक तत्वों की कमी ही मुख्य रुप से कुपोषण का कारण है। कुपोषण से सुपोषण की ओर जाने के लिए पोषण वाटिका का बहुत महत्व है।
डीपीओ ने कहा कि आईसीडीएस विभाग की ओर से कुपोषित बच्चों को चिह्नित कर उनके स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पौष्टिक आहार के रूप में पंजीरी, मीठा व नमकीन दलिया आदि का वितरण किया ही जा रहा है। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच कर आयरन की गोलियां दी जा रही हैं। जिससे की कुपोषण को जड़ से समाप्त किया जा सके।
इसके अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता डोर टू डोर जाकर जच्चा व बच्चा का ख्याल रख रही हैं। जिले में कुपोषण नियंत्रण की स्थिति फिलहाल संतोषजनक है। शासन ने अब नई पहल करते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों पर विटामिन युक्त सहजन के पौधों का रोपण कराने का निर्णय लिया है।
जिला स्वस्थ भारत प्रेरक जितेंद्र गुप्ता ने कहा कि सहजन के पौधे लगाने का मुख्य उद्देश्य गर्भवती और कुपोषित बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य पर बल देना है। उन्हें प्रेरित किया जा रहा है कि सहजन की सब्जी, सूप आदि का प्रयोग करने से उनका स्वास्थ्य बेहतर होगा। साथ ही जन्म लेने वाले बच्चे भी स्वस्थ होंगे। इतना ही नहीं केंद्र के नौनिहालों को भी इसका सेवन कराया जाएगा ताकि उन्हें विटामिन युक्त आहार मिल सके।
गुणकारी है सहजन
पोषण वाटिका का उद्देश्य घरेलू स्तर पर पोषण संबंधी साग सब्जी प्रयोग की महत्वता पर प्रकाश डालना है। जिससे लोग घरेलू स्तर पर ही पोषण युक्त साग-सब्जियां उगाकर उसका प्रयोग करें। ग्रामीण क्षेत्र में पाया जाने वाला सहजन कुपोषण से जंग लड़ेगा।
इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। मुनगा और ड्रम स्टिक नाम से भी जाना जाता है। इस पौधे की पत्तियां, टहनियां, तना, जड़ और गोंद सभी बहुत उपयोगी होते हैं। सहजन की पत्तियों में काफी मात्रा में विटामिन, कैल्शियम और फास्फोरस पाया जाता है। यह स्थानीय स्तर पर आसानी से लग जाता है। इसी के साथ पपीता और अनार भी आसानी से लग जाता है।
सहजन दही से भी दोगुना अधिक प्रोटीन, गाजर से भी चार गुना अधिक विटामिन ए, दूध से भी चार गुना अधिक कैल्शियम, संतरा से भी सात गुना अधिक विटामिन सी, ज़ीरो प्रतिशत कोलेस्ट्रोल आदि से युक्त होता है।