जानें कौन हैं एम विश्वेश्वरैया? जिनका जन्मदिन इंजीनियर डे के रूप में मनाया जाता है

किसी शहर से गुजरते हुए बड़ी-बड़ी आसमान छूती इमारतों को देखते हुए और उनके भीतरी सुविधाओं के बारे में जानते हुए अक्सर यह सोचते हैं कि आखिर कौनसा वो दिमाग होगा जिसने इतना शानदार नक्शा बनाया होगा। इसी तरह जब किसी नदी पर बने बड़े-बड़े बांध नजर आते हैं, जो न सिर्फ बिजली बना रहे होते हैं बल्कि पानी को रोककर उसे सिंचाई के लिए भी पहुंचा रहे होते हैं। इन सब कामों के पीछे हाथ होता है किसी सिविल इंजीनियर का। इसी तरह के एक महान इंजीनियर हुए ‘मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया’ (M Vishvesaraiya) जिनके जन्मदिन को ही इंजीनियर डे (Engineer Day) या अभियंता दिवस के रूप में 15 सितंबर को मनाया जाता है।

 

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ इंजीनियर एम विश्वेश्वरैया

15 सितंबर 1807 को मैसूर (Mysore) (कर्नाटक) के कोलार (Kolar) में जन्मे मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म एक संस्कृत के विद्वान श्रीनिवास शास्त्री के गजर हुआ। बेंगलुरु सेंट्रल कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद मैसूर सरकार की मदद से वह पुणे साइंस कॉलेज (Pune science college) में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने गए। पढ़ाई पूरी होने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें नासिक में सहायक इंजीनियर के पद पर नियुक्त कर लिया।

एम विश्वेश्वरैया के 100वें जन्मदिवस पर उनके नाम से डाक टिकट जारी किया गया

1955 में भारत सरकार ने मोक्षागुंडम विश्वेश्वरैया को इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान के लिए उन्हें भारत रत्न ( Bharat Ratna) से भी सम्मानित किया। 1960 में उनकी 100 वीं वर्षगांठ पर उनके जीते जी उनके नाम का डाक टिकट भी जारी हुआ। 12 अप्रैल 1962 को 101 साल की उम्र में एम विश्वेश्वरैया का देहांत हुआ।

उनके कुछ बेहतरीन काम

 

● कृष्णा राजा सागर बांध

वर्ष 1932 में कर्नाटक में ‘कृष्णा राजा सागर बांध’ (Krishna Raja sagar Baandh) का निर्माण होना था जिसमें एम विश्वेश्वरैया ने चीफ इंजीनियर की भूमिका निभाई। बताया जाता है कि उस वक्त भारत में सीमेंट नहीं बनता था जिस वजह से बांध बनाना काफी मुश्किल था। पर एम विश्वेश्वरैया ने इसका हल निकाला और मोर्टार बनाए। जोकि सीमेंट से भी ज्यादा मजबूत थे। उस वक्त कृष्णा राजा सागर बांध एशिया का सबसे बड़ा बांध था जिसकी ऊंचाई 39 मीटर और लंबाई 2621 मीटर थी।

● शिक्षा के लिए काम

एम विश्वेश्वरैया ने इंजीनियरिंग के अतिरिक्त शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी कार्य किया। उन्होंने मैसूर राज्य में 4500 स्कूलों से बढ़ाकर 10500 स्कूल बनाए।

अहम अविष्कार

● पानी रोकने के लिए विश्वेश्वरैया ने ऑटोमेटिक फ्लडगेट (Automatic Floodgate) का आविष्कार किया, जिसे उन्होंने पेटेंट कराया। यह तकनीक पहली बार पुणे के खड़गवासला जलाशय में प्रयोग हुई।

बाढ़ को रोका

● हैदराबाद (Hyderabad) शहर को बाढ़ से बचाने वाला डिजाइन तैयार करके देने वाले विश्वेश्वरैया ही हैं। इस कार्य के बाद विश्वेश्वरैया काफी ज्यादा चर्चित हो गए थे।

● उड़ीसा की नदियों को बाढ़ से बचाने के लिए विश्वेश्वरैया ने ही एक मॉडल तैयार करके दिया उसके आधार पर ही हीराकुंड बांध (Heerakund Dam) का निर्माण हुआ।

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