उत्तराखंड (Uttarakhand) में रुक-रुक के निरंतर बारिश होने के कारण राज्य की अधिकांश सड़कें बंद हैं और भूस्खलन (Landslide) से प्रभावित हैं। सड़कों पर मलबा और बोल्डर गिरने का खतरा लगातार बना हुआ है। इसी की चपेट में चार धाम (char dham) यात्रा भी आ गई है चार धामों के हाईवे भी भूस्खलन से प्रभावित हैं और यात्रा सुचारू रूप से नहीं हो पा रही है। केदारनाथ यात्रा भी पिछले तीन दिनों से रुकी हुई है।
यात्री सोनप्रयाग में
केदारनाथ (Kedarnath) यात्रा को जा रहे यात्रियों को रास्ता बंद होने के कारण सोनप्रयाग (Sonprayag) में रखा गया है। वहीं जो यात्री यात्रा करके आ चुके थे उनको एसडीआरएफ (SDRF) की मदद से गौरीकुंड (Gauri kund) में सुरक्षा के साथ पहुंचा दिया गया है। गौरतलब है कि गौरीकुंड से ही केदारनाथ यात्रा शुरू होती है और गौरीकुंड क्षेत्र के पास घोड़ापड़ाव, छौड़ी गधेरे से भूस्खलन हो रहा है और वह रुक नहीं रहा है। इसी के साथ मुनकटिया के पास गौरीकुंड – रुद्रप्रयाग राष्ट्रीय राजमार्ग भी बोल्डर गिरने के कारण अभी बंद है।
चारों धाम प्रभावित
बारिश के कारण होने वाले भूस्खलन और पत्थर गिरने के चपेट में सिर्फ केदारनाथ यात्रा ही नहीं बल्कि बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के हाईवे भी आए हैं। बदरीनाथ हाईवे में क्षेत्रपाल और लामबगड़ के पास बार-बार पत्थर गिरने और भूस्खलन होने से मार्ग बंद है। वही गंगोत्री हाइवे डबरानी क्षेत्र में भूस्खलन की समस्या झेल रहा है, और यमुनोत्री हाईवे पालीगाड़ और सिलाई बैंड के पास समस्या से प्रभावित है।
क्षेत्रीय लोगों का संपर्क कटा
जहां से केदारनाथ की यात्रा शुरू होती है वह क्षेत्र गौरीकुंड पिछले 4 दिनों से बिजली और नेटवर्क ना होने की समस्या से प्रभावित है। क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि गौरीकुंड से ही यात्रा शुरू होती है इसलिए वह एक अहम पड़ाव है और वहां भी लोगों का संपर्क कटा हुआ है, ना बिजली है और ना ही मोबाइल में नेटवर्क। उन्हें नेटवर्क के लिए भी 5 किलोमीटर दूर पैदल चलकर सोनप्रयाग आना पड़ रहा है जो कि ऐसे हालातों में काफी जानलेवा है। जगह-जगह भूस्खलन और बोल्डर गिरने का खतरा बना हुआ है।