गीता से प्रेरित है भारतीय वायु सेना की कार्यप्रणाली

Indian Air Force जब हम आसमान में उड़ रहे अपने लड़ाकू विमानों को देखते हैं तो उस समय ना सिर्फ हमारी आंखें ऊपर की ओर देखती हैं बल्कि हमारी उम्मीदें और खुशियां भी सातवें आसमान पर होती हैं। उस समय एक ही बात जेहन में उतरती है कि बादलों में उड़ रहे इन विमानों के वजह से ही जमीन पर हमारा वजूद बचा हुआ है। लोगों के इसी उम्मीद का नाम है – ‘ भारतीय वायु सेना’।

1962, 1965 और 1971 के जंग में भारतीय वायु सेना ने जो रण कौशल दिखाया था, वह अचंभित करने वाला था । भारतीय वायु सेना ना सिर्फ युद्ध के वक्त देश के काम आती है बल्कि इनके सेवाओं की एक लंबी फेहरिस्त है। चाहे किसी भी तरह की आपदा हो या भारतीय थल सेना को ऊंचे स्थानों पर रसद पानी भेजने का काम, इन सब में भारतीय वायु सेना अपने दिलेर जज्बे से देश की सेवा करती है।

विकट और विषम परिस्थितियों में पलक झपकते ही दुश्मनों को उनकी हैसियत बताने वाली भारतीय वायु सेना और सभी भारत वासियों के लिए आज का दिन बेहद खास है।दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना, भारतीय वायु सेना का आज 88 वा स्थापना दिवस है। भारतीय वायुसेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को हुई थी। तब इसे ‘रॉयल इंडियन एयर फोर्स ‘ कहा जाता था। 1950 में जब भारत( India) एक पूर्ण गणतंत्र बन गया तब इसमें से रॉयल शब्द हटा दिया गया और तब से भारतीय वायु सेना को इंडियन एयर फोर्स( Indian Air Force, IAF) के नाम से जाना जाता है। स्थापना के बाद भारतीय वायु सेना के विमान ने पहली बार 1 अप्रैल 1933 को उड़ान भरी थी।

हर साल की तरह इस साल भी भारतीय वायु सेना स्थापना दिवस का आयोजन उत्तर प्रदेश( Uttar Pradesh) के गाजियाबाद( Ghaziabad) स्थित हिंडन( Hindan) एयरफोर्स स्टेशन पर हो रहा है। इस साल भारतीय वायुसेना के बेड़े में राफेल को भी शामिल किया गया है, इस वजह से इस साल का आयोजन अपने आप में ही खास है। इस साल के परेड में 19 फाइटर जेट, 7 मालवाहक एयरक्राफ्ट और 19 हेलीकॉप्टर सहित 56 एयरक्राफ्ट भाग लेंगे। इसके अलावा राफेल, तेजस और सुखोई भी उड़ान भरेंगे।

देश के सभी सेनाओं का एक आदर्श वाक्य होता है। भारतीय वायु सेना का आदर्श वाक्य है- ‘नभ: स्पृशं दीप्तम’ । यह वाक्य गीता के ग्यारहवें अध्याय से लिया गया है। इसी आदर्श वाक्य के साथ भारतीय वायु सेना कठिन से कठिन कामों को भी अंजाम देती है।

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