DELHI: अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस ( INTERNATIONAL TIGER DAY) 29 जुलाई को पूरी दुनिया में मनाया जाएगा। लेकिन इससे पहले ही भारत ने बाघों की गणना में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना लिया है। मंगलवार को केंद्रीय पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो ने राष्ट्रीय मीडिया सेंटर में बाघों की जनगणना की रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक शावकों को छोड़कर बाघों की संख्या 2461 और कुल संख्या 2967 है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बाघों की गणना रिपोर्ट जारी कर कहा कि भारत बाघ श्रेणी के देशों के साथ मिलकर बाघों के प्रबंधन का नेतृत्व करने को तैयार है। भूमि और वर्षा के अभाव के बावजूद भारत ने बांघ संपत्ति को लेकर जो उपलब्धि हासिल की है उस पर उसे गर्व है। वर्ष 1973 में जहां सिर्फ नौ टाइगर रिजर्व थे, आज वे बढ़ कर 50 हो गए हैं। यह जानना महतवपूर्ण है कि इनमें से कोई भी रिजर्व खराब गुणवत्ता वाला नहीं है। या तो वे अच्छे हैं या बेहतर हैं।
मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और कर्नाटक में सबसे ज्यादा बाघ
बता देें कि द ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन की ओर से 2018 में सर्वे किया गया था। इसे पिछले साल ही जारी किया गया था, जबकि वर्ल्ड रिकॉर्ड की घोषणा कुछ हफ्ते पहले ही की गई थी। इस सर्वे के मुताबिक देश में शावकों को छोड़कर बाघों की संख्या 2461 और कुल संख्या 2967 है। 2006 में यह संख्या 1411 थी। तब भारत ने इसे 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य तय किया था। भारत में सबसे ज्यादा 1492 बाघ तीन राज्यों मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड में हैं।
2010 में लिया गया था बाघों की संख्या बढ़ाने का संकल्प
रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में 2010 में एक महत्वपूर्ण बैठक में 2022 तक बाघ क्षेत्र की अपनी सीमा में बाघों की संख्या दोगुना करने का संकल्प लिया था। जिन देशों ने यह संकल्प लिया उनमें वे देश शामिल थे जहां पर बाघ क्षेत्र पाया जाता है। इसी बैठक के दौरान ही दुनिया भर में 29 जुलाई को वैश्विक बाघ दिवस के रूप में मनाने का भी निर्णय लिया गया। तब से हर साल बाघ संरक्षण पर जागरूकता का सृजन करने और उसके प्रसार के लिए वैश्विक बाघ दिवस मनाया जा रहा है।