‘कोरोनिल’ को लेकर पतंजलि की बढ़ी मुश्किलें

कोरोना वायरस की पहली आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल को लेकर पंतजली संस्थान की मुश्किलें हैं कि कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। अब खबर है कि मद्रास हाई कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के खिलाफ 10 लाख रुपये का जुर्माना ठोका है।

बता दें इस मामले पर जस्टिस सीवी कार्तिकेयन ने बीते गुरुवार को आदेश जारी करते हुए पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के ‘कोरोनिल’ ट्रेडमार्क इस्तेमाल करने पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी है। इतना ही नहीं मद्रास हाई कोर्ट ने प्रतिवादियों पर भी 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

मद्रास हाई कोर्ट का ये भी कहना है कि पतंजली संस्थान कोरोना वायरस महामारी से डरे हुए लोगों का फायदा उठाते हुए कोरोना के इलाज के नाम पर सर्दी, खांसी और बुखार के लिए इम्यूनिटी बूस्टर बेच कर पैसा कमाने की फिराक में लगे हुए थे। इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा है कि आद्यार कैंसर इंस्टीट्यूट और गवर्नमेंट योग एंड नेचुरोपैथी मेडिकल कॉलेज ऐसी ही दो संस्था हैं, जो लोगों का कोरोना काल में फ्री में इलाज कर रही हैं। इसलिए पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट इन दोनों ही संस्थानों को 21 अगस्त तक पांच-पांच लाख रुपये दें। साथ में कोर्ट ने ये भी कहा है कि 25 अगस्त तक मद्रास हाई कोर्ट में इससे संबंधित रजिस्ट्री फाइल हो जानी चाहिए।

चेन्नई की कंपनी अरूद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड की अर्जी पर कोर्ट ने पहले ही पतंजलि कंपनी को ट्रेडमार्क ‘कोरोनिल’ का इस्तेमाल करने से रोक दिया था। अरूद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड ने कहा कि ‘कोरोनिल’ 1993 से उसका ट्रेडमार्क है।

पतंजली की कोरोनिल दवा पर 1 जुलाई को आयुष मंत्रालय ने कहा था कि पतंजली कोरोनिल दवा को कोविड-19 के उपचार के लिए नहीं, बल्कि प्रतिरोधक वर्धक के रूप में इस दवा को बेच सकती है।

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