कुंडली में सूर्य है मजबूत तो होती है पद, प्रतिष्ठा, सम्मान की प्राप्ति
ग्रहों में सूर्य ग्रह को राजा का स्थान प्राप्त है। सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है कुंडली में सूर्य प्रबल हो तो पिता का सुख राज्य का सुख एवं पुत्र का सुख विशेष रूप से प्राप्त होता है।
सूर्य यदि प्रबल रहता है तो जातक को समाज में यश कीर्ति एवं विशेष सामाजिक सम्मान प्राप्त होता है। ऐसे जातक किसी भी क्षेत्र में हो उनकी बात को विशेष सम्मान प्राप्त होता है।
सिंह राशि में सूर्य स्वग्रही होता है एवं 10 अंश पर मेष राशि में उच्च का होता है, वहीं 10 अंश पर तुला राशि में ही परम नीच का होता है। कुंडली में सूर्य अगर प्रबल हो तो जातक को सरकारी पदों से एवं उच्च राजनीतिक पदों से विशेष लाभ प्राप्त होता है। जातक स्वयं जीवन में उच्च पदों को प्राप्त कर सकता है।
सूर्य है कमजोर तो नहीं मिलता मेहनत का फल
सूर्य अगर कुंडली में कमजोर हो अथवा नीच अवस्था में हो तो जातक को जीवन में यश की प्राप्ति नहीं हो पाती हैं। सरकारी कार्यों में बाधा देखी जाती है। पिता के सुख का अभाव रहता है पुत्रों के सुख में कमी पाई जाती है।
जातक अपनी पूर्ण क्षमता से कार्य करता है, परंतु उस कार्य के करने का यश उस जातक को नहीं प्राप्त होता है।
सूर्य हृदय का कारक है नेत्रों में ज्योति का कारक है सूर्य के कमजोर होने से ह्रदय, नेत्र एवं हड्डियों में समस्या देखी जाती है। सूर्य जातक को परम प्रबलता प्रदान करता हैं।
सूर्य को अगर अच्छा करना हो तो सूर्य की उपासना विशेष फलदाई होती है
रविवार का दिन सूर्य के लिए विशेष दिन होता है इस दिन अगर व्रत रखा जाए और सूर्य के आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ किया जाए तो विशेष कृपा प्राप्त होती है।
बिना सूर्य की प्रबलता के कोई भी जातक छोटा या बड़ा कोई भी राजनीतिक पद या सरकारी पद नहीं प्राप्त कर सकता है सूर्य की प्रबलता ही जातक को यश और कीर्ति प्रदान करता है सूर्य के सुबह के समय जब सूर्य का रंग बिल्कुल सिंदूरी हो उस समय सूर्य को अर्ध्य देने से विशेष लाभ होता है ।
सूर्य के 108 नाम लेते हुए 108 बार जल देने से सभी मनोकामनाएं जल्द ही पूर्ण होती हैं।
अंशुल त्रिपाठी, ज्योतिर्विद
9450197085