कोविड के बीच डीयू के छात्र कर रहे ‘ओपन बुक एग्जाम’ का विरोध

नयी दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में दूसरे फेज के ओपन बुक एग्जाम (Open book exam) 14 सितंबर से आयोजित कराए जाएंगे। छात्रों को इन परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन परीक्षा (Online and offline exam) देने का विकल्प दिया गया है।
हालांकि कोविड-19 (Corona-19) के खतरे के बीच छात्र इन परीक्षाओं का विरोध कर रहे हैं। लगभग 50 फीसदी छात्र दिल्ली से बाहर होने के कारण अपने शिक्षण संस्थानों या कॉलेज के संपर्क में नहीं हैं।
डीयू से जुड़े शिक्षकों का कहना है कि ऐसे में यदि यूनिवर्सिटी की ओर से परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं तो वे छात्र परीक्षा देने से वंचित रह जाएंगे जो फिलहाल दिल्ली से बाहर हैं।

आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (Delhi Teachers Association) का कहना है कि परीक्षाएं कराने से पहले छात्रों का फीडबैक लिया जाए।

परीक्षा की तिथियों का प्रचार- प्रसार देशभर के समाचारपत्रों, रेडियो, टीवी चैनलों के अलावा संचार माध्यमों में किया जाए, ताकि दिल्ली से बाहर के छात्रों तक जानकारी पहुंच सके।

दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के प्रभारी प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के शैक्षिक सत्र 2020-21 के तीसरे व पांचवें सेमेस्टर की ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं जिसमें 50 फीसदी छात्र ही इस सुविधा का लाभ ले पा रहे हैं।
‘इंडिया लॉकडाउन लर्निग’ रिपोर्ट में कहा गया है कि 75 प्रतिशत छात्र अभी भी ऑनलाइन की बजाय शारीरिक कक्षाओं को प्राथमिकता देते हैं। 57 प्रतिशत छात्रों ने खराब इंटरनेट कनेक्शन को ई-लर्निग के लिए सबसे बड़ी चुनौती माना है। 31 फीसदी छात्रों का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करना मुश्किल लगता है।

79 फीसदी छात्र ऑनलाइन स्टडी करने के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। विद्यासारथी द्वारा जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन पढ़ाई के लिए देश में केवल 17 प्रतिशत छात्र ही लैपटॉप और कंप्यूटर का उपयोग कर पा रहे हैं।

दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी द्वारा दूसरे फेज की परीक्षाएं कराने जाने से पहले छात्रों का सर्वे कराएं कि दूसरे राज्यों से आने वाले छात्र ऑफलाइन और ऑनलाइन एग्जाम के लिए कॉलेज आने को तैयार हैं या नहीं। साथ ही यह भी सर्वे कराया जाना चाहिए कि कितने छात्र अभी तक अपने घरों में फंसे हुए हैं।

बता दें कि पहले फेज की परीक्षा में कई छात्रों ने वेबसाइट क्रैश होने और इंटरनेट स्लो होने की शिकायत भी की थी। तब करीब 2 लाख से ज्यादा छात्र ऑनलाइन परीक्षा में शामिल हुए थे।

 

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