शर्मनाक: इंदौर मे दिखा भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों का अमानवीय चेहरा, पढ़ें ये रिपोर्ट

बचपन से ही हम डॉक्टरों के विषय मे दो बातें सुनते और देखते आये हैं।
पहला और सबसे महत्वपूर्ण ये कि डॉक्टर तो भगवान का रूप होते हैं और यह यकीनन सत्य भी है। दूसरा, ये कि हाल-फिलहाल मे जबसे निजी अस्पतालों का चलन ज्यादा बढ़ा है तब से हमे रोजाना कोई ना कोई ऐसी घटना जरुर दिख जाती है जो इन भगवान के प्रति हमारी आस्था-विश्वास पर फिर से सोचने को मजबूर कर देती हैं।

ताजा मामला है मध्यप्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल ‘महाराज यशवंत राव हॉस्पिटल’ का। इन्दौर के इस हॉस्पिटल मे एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने हमे मानव होने पर शर्मिंदा महसूस करने के लिये मजबूर कर दिया है। हॉस्पिटल प्रशासन के साथ ही इस कृत्य के लिये इन्दौर पुलिस भी जिम्मेदार है लेकिन फिलहाल अपने कर्तव्यों मे लीन इस देश की पुलिस को एक यही काम थोड़े ही है।

अन्तिम संस्कार के इन्तज़ार मे एक अज्ञात शव हॉस्पिटल के मॉर्चरी रूम में स्ट्रेचर पर रखे-रखे कंकाल बन गया। लापरवाही इतनी कि शव से बदबू आने ले बावजूद उस तरफ किसी भी ध्यान नही गया। बाद मे मामला सामने आने के बाद बॉडी को वहां से हटवाया गया। यह अज्ञात शव किसका है, यहाँ कब और कहाँ से आया इस संबंध मे अस्पताल प्रशासन ने चुप्पी साध ली है।

क्या है अज्ञात शव के अन्तिम संस्कार की प्रक्रिया

जिले मे पुलिस अगर कहीं से कोई अज्ञात शव बरामद करती है तो उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा जाता है। पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया होने के बाद शव का नगर निगम या किसी एनजीओ द्वारा अंतिम संस्कार करवाया जाता है।
खबर है कि इस मामले मे ना तो शव का पोस्टमार्टम हुआ और ना ही इसका अन्तिम संस्कार करवाया गया। स्ट्रेचर पर अस्पताल आया हुआ यह शव आखिर मे उसी पर पड़े-पड़े सड़ गया।

अज्ञात बॉडी पर क्या कहना है अस्पताल का

हॉस्पिटल के अधीक्षक ‘डॉ. पीएस ठाकुर’ का कहना है कि हम किसी भी लावारिश बॉडी को पहचान के लिये एक हफ्ते तक रखते हैं। यह बॉडी 10 दिन पुरानी है। अन्तिम संस्कार के लिये निगम से सम्पर्क करने के लिये कैजुअल्टी इंचार्ज को नोटिस जारी किया जा रहा है। इस लापरवाही के जिम्मेदार व्यक्ति पर कार्रवाई की जायेगी। फिलहाल बॉडी को हटवा दिया गया है। इस वक़्त हमारे पास नॉर्मल और कोविड दोनो तरह की बॉडी आ रही है। चूँकि यह एक सरकारी हॉस्पिटल है और इससे पूरे जिले की डैथ बॉडीज यहीं आती है। ऐसे मे अगर कभी-कभी एक ही दिन मे 21 से 22 मौतें भी हो जाती हैं तो उन्हे रखने की समस्या होती है। फिलहाल हमारे पास अभी शव रखने के लिये सिर्फ 16 फ़्रीज़र हैं और इनकी संख्या बढ़ाने के लिये हमने प्रशासन को पत्र लिखा है।

ANSHU MISHRA

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